संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान 19 दिसंबर को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तोड़-फोड़ हुई थी। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान कई लोगों ने सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था। इस नुकसान की भरपाई के लिए लखनऊ प्रशासन ने कुछ आरोपियों को नोटिस दिया था। लेकिन भरपाई नहीं किए जाने पर आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए लखनऊ प्रशासन ने अब दुकानें सील करना शुरू कर दी हैं।
लखनऊ (सदर) तहसीलदार शंभू शरण सिंह ने बताया कि हसनगंज थाना क्षेत्र में दो दुकानों को सील कर दिया गया है। तहसीलदार के मुताबिक एनवाई फैशन सेंटर और एक कबाड़ की दुकान को सील किया गया है। यह कार्यवाही ट्रांसगोमती एडीएम विश्वभूषण मिश्रा द्वारा 13 फरवरी को पास किए गए एक आदेश के आधार पर की गई है। कबाड़ की दुकान के मालिक, माहेनूर चौधरी और गारमेंट की दुकान के सहायक स्टोर मैनेजर धरमवीर सिंह उन 13 लोगों में से हैं, जिन्हें हसनगंज थाना क्षेत्र में संपत्ति के विनाश के लिए मिश्रा ने 30 दिनों के भीतर 21.76 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया था। आदेश में चेतावनी दी गई थी कि भुगतान में विफलता के परिणामस्वरूप संपत्तियों को सील कर दिया जाएगा।
तहसीलदार सिंह ने कहा, “यदि ये लोग अब भी हर्जाने का भुगतान कर देते हैं तो हम संपत्तियों से सील हटा देंगे। कल से, हम अन्य आरोपियों के खिलाफ भी कार्यवाही करेंगे और उनकी संपत्ति सील करेंगे।”
चार पुलिस स्टेशनों में 57 लोगों को हरजाने के रूप में 1.55 करोड़ रुपये की वसूली के लिए नोटिस दिए गए थे। मार्च में प्रसशन ने होर्डिंग्स पर उनकी तस्वीरें और घर का पता लिखकर शाहर में जगह-जगह लगाई थी। इस सूची में कांग्रेस नेता और सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जाफर (44), सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी (77) और कार्यकर्ता मोहम्मद शोएब (73) का नाम भी शामिल था।
10 मार्च को, लखनऊ प्रशासन ने कहा था कि 57 में से 13 को एक सप्ताह के भीतर 10 प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान करना होगा या जेल जाना होगा। महामारी के बीच इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सुझाव के बाद, लखनऊ प्रशासन ने 20 मार्च को कार्यवाही को रोक दिया था।