सैकड़ों करोड़ रुपए के सृजन घपले के सिलसिले में 21 करोड़ 87 लाख रुपए के फर्जीवाड़े की एक और एफआईआर थाना तिलकामांझी में सोमवार देर रात दर्ज कराई गई है। हिसाब-किताब मिलान के दौरान जिला नजारत के इंडियन बैंक के तीन खातों में यह घपला पकड़ में आया है। प्राथमिकी महकमा के प्रभारी जितेंद्र प्रसाद साह ने दर्ज कराई है। एसएसपी मनोज कुमार के मुताबिक, नए दर्ज मामले को भी सीबीआई के सुपुर्द करने की पुलिस तैयारी कर रही है। इधर, दिल्ली से सीबीआई एसपी एस किरण के भागलपुर पहुंचते ही पूछताछ का काम तेज हो गया है। इसी सिलसिले में दरभंगा के जिलाधीश चंद्रशेखर सिंह से भी सीबीआई के अधिकारियों ने घण्टों पूछताछ की है।

सूत्रों के मुताबिक, वे दरभंगा से रविवार को रात के अंधेरे में ही सबौर सीबीआई कैंप आए और पूछताछ के बाद अंधेरे में ही लौट गए। चंद्रशेखर सिंह फरवरी 2013 से अगस्त 2015 तक भागलपुर उपविकास आयुक्त (डीडीसी) ओहदे पर तैनात थे। इनसे चेक पर किए दस्तखत और लेनदेन के बारे में जानकारी ली गई। यहां बताना जरूरी है कि जिला परिषद से 90 करोड़ रुपए और डीआरडीए से साढ़े 83 करोड़ रुपए का सृजन के जरिए फर्जीवाड़े की एफआईआर पहले ही हो चुकी है, जिसकी सीबीआई जांच कर रही है।

इससे पहले सीबीआई एसपी के नेतृत्व में जेल में बंद 17 में से 14 आरोपियों से जेल जाकर दिन भर पूछताछ कर सृजन फर्जीवाड़े के राज उगलवाने की कोशिश की। मंगलवार तड़के पुलिस के कड़े पहरे में इन 17 आरोपियों को सीबीआई अदालत में पेशी के लिए पटना ले जाया गया है। इससे पहले 3 अक्तूबर को इनकी पेशी पटना सीबीआई कोर्ट में हुई थी। अदालत ने इन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में वापस भागलपुर जेल भेज दिया था। 17 अक्टूबर को जेल में इनका 14 दिन पूरा हो गया। जेल में बंद तीन आरोपियों ने अपनी जमानत की अर्जी दी है।

सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई एसपी आने के बाद बैंक, सरकारी, सहकारिता महकमा के 15 से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों को तलब कर पूछताछ किया जा चुका है। पूछताछ का क्रम बड़े अधिकारियों में डीडीसी रहे गजानन मिश्र से शुरू हो चुका है। 2003 से अबतक 8 डीडीसी, 9 निदेशक और एक दर्जन के करीब जिलाधीश ओहदे पर रहे बिहार सेवा और आईएएस अधिकारियों को नोटिस भेज हाजिर होने को कहा जा रहा है।

दरअसल, इन लोगों ने चेक पर अपने दस्तखत फर्जी होने की बात कही है। इसलिए सीबीआई टीम ने बीते एक महीने के दौरान बैंकों से मूल चेक, खातों की विवरणी अपने कब्जे में किए और बैंक से जिन चेकों के जरिए रकम निकासी हुई है, उन पर किए दस्तखत बैंक अधिकारियों से सत्यापित करा लिखित में लिया। अब इन आलाधिकारियों से मूल चेक दिखा सीबीआई पूछताछ कर रही है। इनके दस्तखत फोरेंसिक जांच के बाद ही और पुख्ता हो पाएगा कि ये जाली हैं या फर्जी बताने वाले झूठ बोल रहे हैं। जानकारी मिली है कि पूछताछ के लिए बुलावा नोटिस उन्हें ही भी भेजा जा रहा है, जो सृजन के जरिए सरकारी धन डकार मालामाल हुए हैं। जाहिर है सीबीआई अब अपना शिकंजा तेजी से कस रही है।