Uttarakhand Government: सरकारी भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक होने और ऐसे घोटालों की सीबीआई जांच की मांग को लेकर देहरादून में बड़ी संख्या में युवाओं द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन के एक दिन बाद उत्तराखंड के राज्यपाल ने पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के अध्यादेश को अपनी मंजूरी दे दी। भर्ती परीक्षाओं में अनुचित साधनों के प्रयोग पर रोक लगाने के लिए उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम और निवारण के लिए उपाय) अध्यादेश को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को ही राजभवन भेज दिया था।

राज्यपाल की मंजूरी के बाद 24 घंटे में बना कानून

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह की मंजूरी से 24 घंटे के भीतर ही यह कानून बन गया। इसके बाद उत्तराखंड में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने सीएम पुष्कर सिंह धामी पर हमेशा रिएक्टिव मोड में यानी प्रतिक्रियावादी होने का आरोप लगाया है। कांग्रेस का कहना है कि राज्य में बड़े मामले हो जाने के बाद मुख्यमंत्री जागते और आनन-फानन में कुछ करने की कोशिश करते दिखते हैं।

सरकार के फैसले को दबाव का नतीजा माना जा रहा

उनके हालिया कदम को राजनीतिक जानकारों ने उनकी सरकार द्वारा लिए गए कई पुराने फैसलों के अनुरूप ही देखा है। ज्यादातर फैसले संबंधित लोगों के विरोध और प्रतिक्रिया के दबाव के बाद ही लिए गए हैं। इनमें अब निरस्त हो चुका उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम, यूकेएसएसएससी परीक्षाओं में “अनियमितताएं”, अंकिता भंडारी हत्याकांड और जोशीमठ भूमि धंसाव आपदा सहित कई मामले शामिल हैं।

सरकार ने नकल विरोधी कानून को बताया साहसिक कदम

इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को कहा कि राज्य सरकार ने सख्त नकल विरोधी कानून लाकर और दोषियों को जेल भेजकर ‘‘नकल कराने वाले माफिया’’ के खिलाफ ‘‘साहसिक’’ काम किया है।

धामी ने देहरादून जिले के कालसी क्षेत्र में एक खेल और सांस्कृतिक उत्सव का उद्घाटन करने के बाद कहा, ‘‘उत्तराखंड को बने 22 साल हो चुके हैं। मेरा विरोध करने वालों को खुद से पूछना चाहिए कि किस मुख्यमंत्री ने प्रश्न पत्र लीक मामले में शामिल लोगों को जेल भेजा। कौन सा मुख्यमंत्री देश में सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लाया है।’’