Rajasthan Politics: राजस्थान की सियासत में एक बार फिर नया बवंडर उठता हुआ दिखाई दे रहा है। राजस्थान बहुजन समाज पार्टी का दामन छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले 6 विधायकों ने दिल्ली का रुख किया है। ये विधायक राजस्थान कांग्रेस से नाराज हैं। इन विधायकों का कहना है कि इन्हें कांग्रेस के आला कमान से मिलवाने की बात कही गई थी लेकिन अब तक इन्हें नहीं मिलवाया गया है। नाराज विधायकों जिसमें मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा, विधायक संदीप यादव और लाखन सिंह मीणा ने दिल्ली में डेरा डाल रखा है।
न्यूज-18 की खबर के मुताबिक इन विधायकों की अगुवाई कर रहे राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने बताया कि हमसे जो वादे किए गए थे वो पूरे नहीं किये गये हैं। उन्होंने बताया हमारे साथ बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए साथियों को मंत्री या फिर संसदीय सचिव बनाने का वादा किया गया था जो अब तक पूरा नहीं हुआ है। सिर्फ मुझे मंत्री बनाया गया है और दो साथी विधायकों को बोर्ड निगम का अध्यक्ष बनाया है। वो भी उनमें से एक के को न तो गाड़ी मिली है और न ही दफ्तर मिला है। अगर हमारे साथ किए गए वादे पूरे नहीं किए गये तो हमें भी विचार करना पड़ेगा।
Rajasthan में खड़ा हो सकता है नया सियासी बवाल
बसपा के बागी विधायकों के रुख को देखते हुए सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा शुरू हो गयी है कि ये विधायक दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करने के लिए जमे हैं। अगर इन विधायकों की बात नहीं मानी गई तो राजस्थान सियासत में बड़ा उलटफेर होने की संभावना है। इन दिनों राजस्थान के मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा भी है। वहीं सियासी जानकारों की मानें तो ये सिर्फ एक दबाव की राजनीति है।Rajasthan में खड़ा हो सकता है नया सियासी बवाल।
MLAs को है टिकट की चिंता
वहीं कुछ सियासी जानकारों का ये भी मानना है कि बसपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले इन छह विधायकों को राजस्थान के अगले विधानसभा चुनाव 2023 में टिकट कहां से दिया जाएगा। इन विधायकों की ये चिंता सता रही है कि वो अबकी बार विधानसभा चुनाव कहां से लड़ेंगे। इन नेताओं की अगुवई कर रहे राजस्थान के राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने खुद ही इस बात के बारे में कहा था। गहलोत सरकार में मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा ने कहा था कि बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों को अपनी सीटों पर टिकट को लेकर आशंकित हैं और पार्टी में शामिल होते समय उनसे जो वादे किए गए थे वो भी पूरे नहीं हुए हैं जिससे उन विधायकों में पार्टी के प्रति अविश्वास बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है।