Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 202 सीटें जीते हैं, जबकि महागठबंधन महज 35 सीटों पर सिमट कर रह गया। बिहार विधानसभा चुनावों में राजनीतिक दिग्गजों, जातिगत नेताओं, नए चेहरों और बाहुबलियों का एक अद्भुत मिश्रण सामने आया। इन्होंने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान लोगों का ध्यान अपनी खींचा। आइए अब जानते हैं कि इन दिग्गजों का प्रदर्शन कैसा रहा।
सम्राट चौधरी
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के आरोपों के बाद उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी बिहार चुनाव में सबसे चर्चित उम्मीदवारों में से एक थे, जिन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने हलफनामे में अपनी उम्र, एक पुराने हत्या के मामले में संलिप्तता और अपनी शैक्षणिक योग्यता गलत बताई है।
तारापुर से 15 साल बाद अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ते हुए चौधरी ने अपने प्रतिद्वंद्वी आरजेडी के अरुण कुमार को 45,000 से ज्यादा मतों से हराया। कोइरी/कुशवाहा नेता, चौधरी राज्य के सबसे प्रभावशाली ओबीसी समूहों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो हाल के राजनीतिक बदलावों का केंद्र रहा है। उनके पिता, शकुनि चौधरी, कई बार विधायक और सांसद रह चुके हैं, जबकि उनकी मां पार्वती देवी, तारापुर की पूर्व विधायक हैं।
चौधरी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राजद से की और 1999 में बिना विधायक रहे राबड़ी देवी मंत्रिमंडल में मंत्री बने। उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव 2000 में परबत्ता से राजद के टिकट पर और फिर 2010 में जीता। 2014 में, वे जदयू में शामिल हो गए और जीतन राम मांझी सरकार में नगर विकास एवं आवास मंत्री रहे। वे 2017 में बीजेपी में शामिल हुए और तेजी से संगठन में आगे बढ़ते हुए विधान पार्षद, प्रदेश उपाध्यक्ष और आखिरकार मार्च 2023 में प्रदेश अध्यक्ष बने।
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तेज प्रताप यादव
मई में राजद और उसके फर्स्ट फैमिली से निकाले जाने के बाद, लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने जनशक्ति जनता दल का गठन किया और उसके टिकट पर महुआ सीट से चुनाव लड़ा और लोजपा (आरवी) और आरजेडी के बाद तीसरे नंबर पर रहे। उनका राजनीतिक करियर 2015 में शुरू हुआ जब उन्होंने महुआ सीट से हम (S) के रवींद्र रे को 28000 से ज्यादा वोटों से हराकर जीत हासिल की। उन्होंने नवंबर 2015 से जुलाई 2017 तक स्वास्थ्य मंत्री के रूप में कार्य किया और महुआ में एक सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की स्थापना की पहल का श्रेय उन्हें ही जाता है।
2020 में वे हसनपुर से चुनाव लड़े और जदयू के राज कुमार रे को 21000 से ज्यादा मतों से हराया। तेज प्रताप इस साल की शुरुआत में तब चर्चा में आए थे जब उनके पिता ने उनके निजी जीवन से जुड़ी कुछ सोशल मीडिया पोस्ट के कारण उन्हें पार्टी से निकाल दिया था। तेज प्रताप ने 2018 में पूर्व मंत्री चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या राय से शादी की थी , लेकिन घरेलू हिंसा के आरोपों के चलते कुछ ही महीनों में यह शादी टूट गई। उनके तलाक की प्रक्रिया अभी भी लंबित है।
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अनंत सिंह
मोकामा क्षेत्र में लंबे समय से प्रभावशाली रहे भूमिहार नेता अनंत सिंह राजनीतिक झड़प के दौरान हुई हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार होने के बाद चुनाव प्रचार के दौरान सुर्खियों में रहे। स्थानीय लेवल पर भूमिहारों की राजधानी कहे जाने वाले मोकामा से चुनाव लड़ते हुए, जदयू नेता ने राजद की वीणा देवी को 30000 से ज्यादा मतों से हराया।
बिहार चुनाव परिणाम
| क्रम | पार्टी का नाम | सीटें जीती | वोट शेयर % |
|---|---|---|---|
| 1 | भारतीय जनता पार्टी (BJP) | 89 | 20.87% |
| 2 | जनता दल (यूनाइटेड) – JD(U) | 85 | 18.91% |
| 3 | राष्ट्रीय जनता दल (RJD) | 25 | 22.76% |
| 4 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) | 6 | 8.46% |
| 5 | लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) – LJP(RV) | 19 | 5.11% |
| 6 | AIMIM | 5 | 2.07% |
| 7 | हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) – HAMS | 5 | 1.14% |
| 8 | राष्ट्रीय लोक मोर्चा | 4 | 0.97% |
| 9 | निर्दलीय | 9 | 4.66% |
| 10 | CPI (मार्क्सवादी–लेनिनवादी) (लिबरेशन) | 2 | 3.05% |
| 11 | बहुजन समाज पार्टी (BSP) | 1 | 1.52% |
| 12 | जन सुराज पार्टी (JSP) | 0 | 3.44% |
| 13 | विकासशील इंसान पार्टी (VIP) | 0 | 1.57% |
छोटे सरकार के निकनेम से फेमस सिंह पर 1979 से अब तक 50 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें हत्या, अपहरण और जबरन वसूली के आरोप शामिल हैं। 2015 में एक बड़े पुलिस अभियान के बाद उन्हें गिरफ़्तार किया गया और बाद में 2019 में एक छापे में एके-47 और ग्रेनेड जब्त करने के बाद उन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया। 2022 में उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई, लेकिन 2024 में सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया, जिससे उनकी राजनीति में वापसी का रास्ता साफ हो गया।
वह पांच बार जेल जा चुके हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान उनकी रिहाई ने तब ध्यान खींचा जब उन्हें जदयू नेता ललन सिंह के लिए प्रचार करते देखा गया। उनकी राजनीतिक विरासत उनके बड़े भाई दिलीप सिंह से जुड़ी है, जिन्होंने 1980 के दशक में मोकामा से चुनाव लड़ा था। 2006 में दिलीप के निधन के बाद, अनंत ने विभिन्न दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए चुनाव लड़कर इस क्षेत्र पर अपनी पकड़ मजबूत की। 2022 में उन्हें दोषी ठहराए जाने के बाद, उनकी पत्नी ने राजद के टिकट पर उपचुनाव में यह सीट जीत ली।
मैथिली ठाकुर
मिथिलांचल की सबसे चर्चित आवाजों में से एक और चुनाव में सबसे युवा उम्मीदवारों में से एक, मैथिली ठाकुर ने अलीनगर से बीजेपी की ओर से चुनाव लड़ा और आरजेडी के विनोद मिश्रा को 11000 से ज्यादा मतों से हराया। उत्तर भारत में घर-घर में मशहूर ठाकुर मैथिली, भोजपुरी, हिंदी और सूफी संगीत की अपनी प्रस्तुतियों के लिए जानी जाती हैं। अक्सर उनके भाई रिशव और अयाची भी उनके साथ प्रस्तुति देते हैं। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के दौरान उनके राम भजन वीडियो वायरल होने के बाद उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ। अब यूट्यूब, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर उनके लाखों फॉलोअर्स हैं।
ओसामा शहाब
आरजेडी के कद्दावर नेता शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब ने सीवान जिले के रघुनाथपुर से चुनावी शुरुआत की। इसने सभी का ध्यान खींचा, क्योंकि एनडीए ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले परिवारों को पुरस्कृत करने के लिए आरजेडी पर हमला किया।ओसामा ने जेडीयू के विकास कुमार सिंह को 9000 से ज्यादा वोटों से हराया। उनकी उम्मीदवारी को 24-25% मुस्लिम आबादी वाले एक निर्वाचन क्षेत्र में राजद की फिर से अपनी पकड़ बनाने की कोशिश के तौर पर देखा गया।
2021 में सीवान के बाहुबली नेता की मौत के बाद शहाबुद्दीन परिवार के साथ संबंधों में आई खटास के बाद महीनों तक चली सुलह की कोशिशों के बाद उनका नामांकन हुआ। सुलह की शुरुआत अगस्त 2024 में हुई जब लालू प्रसाद ने शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब से मुलाकात की। दो महीने बाद, हिना और ओसामा औपचारिक रूप से आरजेडी में शामिल हो गए।
