मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक वकील की जमानत याचिका खारिज कर दी है। जोर देकर कहा गया है कि जितने भी सबूत पेश किए गए, उससे साफ लगता है कि वकील द्वारा सांप्रदायिक सौहार्थ को बिगाड़ने की कोशिश हुई और मुगल शासन स्थापित करने का प्रयास दिखा।

पूरा मामला क्या है?

बताया जा रहा है कि जिस वकील के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था, वो एक ह्यूमन राइट आर्गेनाईजेशन के साथ काम कर रहा था, लेकिन 2023 में उसके खिलाफ शिकायत दर्ज की गई। इसी साल 8 फरवरी को भोपाल की स्पेशल NIA कोर्ट ने भी उसकी याचिका खारिज कर दी थी। वकील के खिलाफ क्रिमिनल कंस्पायरेसी, दो समुदाय के बीच में नफरत पैदा करने जैसी धाराओं में केस दर्ज किया गया था। UAPA के तहत भी उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

वकील के अधिवक्ता ने क्या कहा?

वैसे उस वकील के लिए कोर्ट में जो अधिवक्ता पेश हुए थे, उन्होंने दलील दी थी कि उनके क्लाइंट सिर्फ एक वालंटियर के रूप में संगठन के साथ जुड़े हुए थे और लोगों के बीच में जागरूकता कार्यक्रम चलाते थे। इस बात पर भी जोर दिया गया कि उनके क्लाइंट ने कुछ भी ऐसा नहीं कहा जिस वजह से UAPA के तहत मामला दर्ज हो।

पहले भी खारिज हुई जमानत याचिका

लेकिन इस मामले में हाई कोर्ट ने माना है कि उन्हें तब तक हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए जब तक जांच पूरी ना हो जाए। जोर देकर बोला गया कि ट्रायल कोर्ट को सबूत के आधार पर कोई फैसला लेना होगा। अब यह कोई पहला मामला नहीं है जहां पर कोर्ट ने इस आधार पर किसी की जमानत याचिका खारिज की हो, इससे पहले भी कई केसों में ऐसा देखा जा चुका है। अभी तक वकील द्वारा कोर्ट के फैसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।