खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह अभी भी फरार है और पुलिस उसे ढूढ़ने का प्रयास कर रही है। इसी क्रम में पंजाब के चप्पे चप्पे पर भारी पुलिस बलों की तैनाती की गई है। वहीं भारी सुरक्षा की तैनाती से चिंतित अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह (Akal Takht Jathedar Giani Harpreet Singh) ने शुक्रवार को पंजाब सरकार से बैसाखी (Baisakhi) से पहले पैनिक फैलाने की कोशिश नहीं करने को कहा है। जत्थेदार हरप्रीत सिंह ने शुक्रवार को तख्त दमदमा साहिब में सिख और पंजाबी पत्रकारिता की भूमिका, सिख मीडिया के योगदान और वर्तमान में राज्य के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए एक विशेष सभा की बैठक बुलाई थी।

यह बैठक ऐसे समय हुई जब राज्य में अलगाववादी ताकतों के उदय के बारे में चिंता व्यक्त की जा रही है। सभा को संबोधित करते हुए अकाल तख्त के जत्थेदार हरप्रीत सिंह ने कहा कि कड़ी सुरक्षा के कारण इस बार बैसाखी से पहले श्रद्धालुओं की कम संख्या आई है। उन्होंने कहा, “हर साल हम एक बड़ी सभा देखते हैं जो 5 अप्रैल से (बैसाखी के लिए) शुरू होती है। लेकिन वर्तमान में संगत की संख्या सिर्फ 10 प्रतिशत है। इसका कारण सरकार द्वारा पैदा की गई घबराहट है। मैं इस मंच के माध्यम से पंजाब सरकार को बताना चाहता हूं कि इस सख्ती ने खलबली मचा दी है और इसे समाप्त किया जाना चाहिए।”

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का जिक्र करते हुए जत्थेदार हरप्रीत सिंह ने कहा, “पहले उन्होंने कहा था कि अमृतपाल सिंह यहां आत्मसमर्पण करेंगे। जब ऐसी स्थिति बनती है तो इससे न केवल पंजाबियों और पंजाब की छवि पर असर पड़ता है, बल्कि पंजाब में शासन कर रही सरकार पर भी असर पड़ता है। कम से कम अपनी छवि तो बचा लो।

जत्थेदार सिंह ने कहा कि पंजाब में पुलिस कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गयी हैं और उन्हें ड्यूटी पर उपस्थित रहने को कहा गया है। उन्होंने कहा, “उन सभी को दमदमा साहिब Damdama Sahib) भेज दिया गया है। यहाँ क्या होगा?”

शुक्रवार को सूत्रों ने कहा कि पंजाब पुलिस ने 14 अप्रैल तक अपने सभी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। उत्तर भारत में पंजाब के सबसे बड़े त्योहारों में से एक बैसाखी, दसवें सिख गुरु गोबिंद सिंह द्वारा ‘खालसा पंथ’ (सिख आदेश) के स्थापना दिवस का प्रतीक है। यह फसल के मौसम की शुरुआत का भी प्रतीक है।