पंजाब पुलिस (Punjab Police) द्वारा दोआबा क्षेत्र के गांवों में स्थित ‘डेरे’ में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह खोज की गई। वहीं इसके एक दिन बाद सोशल मीडिया पर एक सीसीटीवी वीडियो सामने आया है। शनिवार को सोशल मीडिया पर एक ताजा सीसीटीवी फुटेज में अमृतपाल सिंह के करीबी पप्पलप्रीत सिंह को कथित तौर पर देखा गया है। पपलप्रीत सिंह (Papalpreet Singh) को होशियारपुर के तनौली गांव के पास डेरा में देखा गया है।

यह फुटेज 29 मार्च का बताया जा रहा है। इसके एक दिन बाद पंजाब पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस विंग की एक टीम ने फगवाड़ा से एक टोयोटा इनोवा वाहन का पीछा किया था। पुलिस को संदेह था कि अमृतपाल और पप्पलप्रीत उसमें यात्रा कर रहे थे। जिस ‘डेरा’ की फुटेज सामने आई है, वह एक गांव में स्थित है, जो मरनियां गांव से महज दो से तीन किमी दूर है। पुलिस ने दोनों की तलाश के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया था।

अमृतपाल और पप्पलप्रीत के पंजाब में घुसने की सूचना मिलने के बाद मंगलवार की रात पुलिस ने फगवाड़ा से करीब 37 किलोमीटर तक इनोवा का पीछा किया। इससे पहले कि उसमें बैठे लोग मारनियां में गुरुद्वारा भाई चंचल सिंह के पास गाड़ी छोड़कर अंधेरे की आड़ में खेतों में गायब हो गए। ऐसे इनपुट मिले थे कि एसयूवी छोड़ने के बाद संदिग्धों ने स्विफ्ट कार का इस्तेमाल किया होगा। पुलिस ने फगवाड़ा से एक और वाहन बरामद किया था, जिसके बारे में उन्हें संदेह था कि दोनों ने इसका इस्तेमाल किया होगा।

सूत्रों ने बताया कि बुधवार सुबह डेरा के सीसीटीवी फुटेज में पप्पलप्रीत को देखा गया था। आशंका जताई जा रही है कि पुलिस द्वारा वाहन का पीछा करने के बाद होशियारपुर में पपलप्रीत और अमृतपाल अलग हो गए। यह भी संदेह है कि अमृतपाल और पपलप्रीत अब दो अलग-अलग डेरों (धार्मिक जमावड़े के लिए एक जगह) में छिपे हुए हैं।

दोआबा क्षेत्र सैकड़ों ‘डेरों’ का घर है। पुलिस अधिकारी अमृतपाल को आवासीय स्थानों, नलकूपों के पास स्थापित छोटे कमरों और यहां तक ​​कि जानवरों के आश्रयों सहित अन्य संभावित ठिकानों पर भी तलाश रहे हैं। अमृतपाल 18 मार्च को अपने संगठन वारिस पंजाब दे पर पुलिस की कार्रवाई के बाद से फरार है। हालांकि वह पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया पर जारी दो वीडियो और एक ऑडियो क्लिप में दिखाई दिया, जिसमें उसने अपने आत्मसमर्पण की बातचीत की अटकलों को खारिज कर दिया। उसने सिख समुदाय से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अकाल तख्त को “सरबत खालसा” बुलाने के लिए कहा था।