Amritpal Singh: शनिवार को करीब आधी रात का समय था जब पंजाब इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को जगाया, लेकिन भगवंत मान के लिए यह खबर जितनी महत्वपूर्ण थी तो उतनी ही हलचल पैदा करने वाली भी थी। खबर थी भगोड़ा खालिस्तान उपदेशक अमृतपाल सिंह को लेकर थी, जो 18 मार्च को पुलिस को चकमा देने के बाद 36 दिनों तक फरार रहा था, जब उसके और उसके संगठन वारिस पंजाब दे पर कार्रवाई की गई थी तो वो मोगा के रोडे गांव में देखा गया था, जो जरनैल सिंह भिंडरावाले का पैतृक गांव है।
खुफिया एजेंसी ने भगवंत मान दी थी यह जानकारी
खुफिया अधिकारी ने मान को तभी जगाया जब एजेंसी को पुख्ता सूचना मिली थी कि अमृतपाल गांव के गुरुद्वारे में छिपा हुआ है, जहां उसने पिछले साल सितंबर में अपना ‘दस्तरबंदी’ समारोह आयोजित किया था। मान ने फोन उठाया, डीजीपी गौरव यादव को डायल किया और पुलिस प्रमुख से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि गुरुद्वारे की पवित्रता हर कीमत पर बनी रहे।
पुलिस न करे गुरुद्वारे के अंदर प्रवेश, गोली भी न चलाए: भगवंत मान
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बरगाड़ी और बहबल कलां जैसा कोई मुद्दा नहीं होना चाहिए, जो राज्य को वर्षों तक परेशान करता रहे। उन्होंने आदेश दिया कि किसी तरह की कोई फायरिंग नहीं होनी चाहिए और पुलिस गुरुद्वारे के परिसर में प्रवेश नहीं करेगी। शनिवार और रविवार की दरमियानी रात को हुए घटनाक्रम से वाकिफ मुख्यमंत्री के एक सहयोगी ने यह बात कही।
सादे कपड़ों में तैनात की गई थी पुलिस
सूत्रों ने बताया कि जब यह निर्णय लिया गया कि पूरे गांव को बंद कर दिया जाएगा, तो सीएम ने डीजीपी को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि भारी पुलिस उपस्थिति हो, लेकिन किसी भी कीमत पर भय का वातावरण न पैदा किया जाए। इसलिए, यह तय किया गया कि पुलिस गांव में सादे कपड़ों में होगी, क्योंकि वर्दी में इतना भारी पुलिस बल आतंक या विरोध का कारण बन सकता था।
अमृतपाल के सहयोगियों की गिरफ्तारी के बाद उसका नेटवर्क टूट चुका था
सूत्र ने कहा कि मुख्यमंत्री ने खुफिया अधिकारियों से अमृतपाल की गिरफ्तारी का राज्य में क्या असर हुआ है, इस बारे में भी त्वरित रिपोर्ट मांगी है। उन्हें बताया गया कि अमृतपाल का नेटवर्क पूरी तरह से टूट चुका था, क्योंकि उसके मुख्य संचालकों में चाचा हरजीत सिंह, फाइनेंसर दलजीत सिंह कलसी और संरक्षक पप्पलप्रीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया था और असम में डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया था। इससे अमृतपाल को कोई सहारा नहीं मिला। जिन लोगों ने उसे पहले शरण दी थी, उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया। इसलिए, कोई भी उसे आश्रय नहीं देना चाहता था। पंजाब में हालात यहां तक आ गए थे कि कट्टरपंथी उपदेशक पर कार्रवाई और उसे शरण देने वालों की गिरफ्तारी के बाद लोगों ने अपनी कारों में अजनबियों को लिफ्ट देना बंद कर दिया था।
गुरुद्वारे के अंदर अधिकारियों ने भेजा था अमृतपाल को संदेश
18 मार्च के विपरीत, जब अमृतपाल को भारी पुलिस उपस्थिति और उनकी योजना के बारे में पता चलने के बाद उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया था, लेकिन वो फरार हो गया था, लेकिन इस बार घेराबंदी करने से पहले उन्होंने पूरे गांव में अधिकारियों को तैनात किया। सूत्र ने कहा कि इसके बाद ही पुलिस अधिकारियों ने गुरुद्वारे के अंदर अमृतपाल को संदेश भेजा कि उन्होंने गांव पूरी तरह से कवर कर लिया है। अब उसकी भागने की कोशिश पूरी तरह से व्यर्थ होगी। जब अमृतपाल को समझ में आया कि इस बार बचने का कोई रास्ता नहीं है, तो वह रविवार सुबह करीब 7 बजे गुरुद्वारे से बाहर चला गया। सूत्र ने कहा कि उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन इससे पहले कि वह बाहर निकलता, अमृतपाल ने मारे गए खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के चित्र के सामने बैठकर एक वीडियो रिकॉर्ड किया और घोषणा की कि वह आत्मसमर्पण कर रहा है। रोडे भिंडरावाले का पैतृक गांव है और वह गुरुद्वारा जिसमें अमृतपाल ने शरण ली थी।
गिरफ्तारी से पहले गुरुद्वारे में शरण ले रहा था अमृतपाल
सूत्रों ने कहा कि जब वह भाग रहा था, तब अमृतपाल डेरों और गांव के गुरुद्वारों में शरण ले रहा था, जिसके बाद खुफिया अधिकारी सभी प्रमुख सिख धर्मस्थलों पर नजर रख रहे थे। भिंडरावाले के प्रति अमृतपाल के प्रेम को देखते हुए रोडे गांव का गुरुद्वारा हमेशा उनके राडार पर रहता था, जिसकी शैली, तौर-तरीके और भाषण के तरीके की नकल वह खुद को जनता के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए करता था।
एक पदाधिकारी ने कहा, ’18 मार्च को जब जालंधर में उसे रोका गया तो उन पर गोलियां नहीं चलाने की रणनीति काम कर गई। वह घिर गया था। उसके पास रोडे गुरुद्वारे में शरण लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। पुलिस द्वारा उसके सभी आकाओं को गिरफ्तार करने के साथ ही उसके पास अपने सभी विकल्प समाप्त हो गए थे। यह एक शांतिपूर्ण ऑपरेशन था। 36 दिन से पुलिस उसका पीछा कर रही थी। सीएम कोई गोलीबारी नहीं चाहते थे और इस पूरे ऑपरेशन को शांतिपूर्ण तरीके से अंजाम दिया गया।’
ऑपरेशन के बाद भगवंत मान ने कहा- वो पूरी रात नहीं साए
अमृतपाल की गिरफ्तारी के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि वह पूरी रात जाग रहे थे, क्योंकि वह स्थिति का पता लगाना चाहता था। उन्होंने कहा था कि वह फोन पर हर 15 मिनट में स्थिति का जायजा ले रहे हैं। मान ने इस बात पर भी जोर दिया कि वह ऑपरेशन के दौरान कोई खून-खराबा नहीं चाहता थे। मान ने कहा कि अगर हमने उसे 18 मार्च को गिरफ्तार किया होता, तो गोलियां चलाई जातीं। हम ऐसा नहीं करना चाहते थे।