इलाहाबाद हाई कोर्ट ने समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान के पूर्व सहयोगी फसाहत अली खान उर्फ शानू को जमानत देने के रामपुर की स्थानीय अदालत के आदेश को खारिज कर दिया। साथ ही कोर्ट ने 2016 में रामपुर के एक मोहल्ले में कुछ लोगों को जबरन बेदखल करने के मामले में उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिए गिरफ्तारी के आदेश
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2020 में दायर जमानत रद्द करने की अर्जी पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 29 जुलाई 2020 को रामपुर एमपी/एमएलए कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें फसाहत को जमानत दी गई थी। अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। फसाहत नवंबर 2022 में रामपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में भाजपा में शामिल हो गए थे, जो 2019 के अभद्र भाषा मामले में आजम को दोषी ठहराए जाने के बाद खाली हुई थी।
आरोपी पर लगे अपराध गंभीर- इलाहाबाद हाई कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि आरोपी पर लगे अपराध गंभीर प्रकृति के हैं। कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने अभियुक्त पर लगे अपराधों की गंभीरता और इनके 21 मामलों के आपराधिक इतिहास को नजर अंदाज करते हुए जमानत पर रिहाई का आदेश दिया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अभियुक्त फसाहत अली खान को तत्काल गिरफ्तार करने का आदेश दिया है। साथ ही यह भी कहा कि अगर वह जमानत अर्जी दाखिल करते हैं तो उसकी गिरफ्तारी या समर्पण के बाद नियमानुसार आदेश पारित किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति डीके सिंह ने उत्तर प्रदेश राज्य की अर्जी को मंजूर करते हुए दिया है।
पुलिस ने दाखिल की चार्जशीट
इस मामले में दर्ज FIR के अनुसार, रामपुर में सराय गेट स्थित यतीमखाने में शिकायतकर्ता परिवार सहित किराएदार है। 15 अक्टूबर 2016 की शाम आले हसन, फसाहत अली खान, ठेकेदार इस्लाम सहित 20 से 30 लोग आए और शिकायतकर्ता को घर खाली करने की धमकी दी। उन्होंने कहा कि यतीमखाने पर कैबिनेट मंत्री आजम खान स्कूल बनाएंगे। विरोध करने पर उन्हें जबरन घर से बाहर कर 20 हजार नकद, सोने चांदी के जेवर और दो भैंसें लूट लीं। दोनों भैंसें आजम खान की गोशाला में बंधी हैं।
पुलिस ने अभियुक्तों के पास से गहने भी बरामद किए। इस मामले में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। विशेष अदालत एमपीएमएल, रामपुर ने जमानत मंजूर की थी। जिसे निरस्त करने की मांग करते हुए सरकार ने हाई कोर्ट में अर्जी दी थी।