Ambulance Case: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बाराबंकी एम्बुलेंस मामले में बहुजन समाज पार्टी के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को जमानत देने से इनकार कर दिया। याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने मुख्तार अंसारी पर अहम टिप्पणी की और कहा कि इस बात की आशंका है कि अगर आरोपी जमानत पर छूटता है तो वह गवाहों को प्रभावित करेगा और सबूतों से भी छेड़छाड़ करेगा।

कोर्ट ने यह भी कहा कि यह दुखद है कि अंसारी जैसे अपराधी माननीय बन जाते हैं। बेंच ने कहा, “यह भारतीय गणतंत्र की विडंबना और त्रासदी है, भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा धब्बा है कि वर्तमान आरोपी-याचिकाकर्ता जैसे अपराधी माननीय हैं।” कोर्ट ने कहा कि आरोपी पूर्व विधायक का लोगों के दिलो-दिमाग में भय है और जमानत पर रिहा होने पर वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है।

कोर्ट उस मामले की सुनवाई कर रहा था जिसमें अंसारी पर जाली दस्तावेजों के जरिए एम्बुलेंस का रजिस्ट्रेशन हासिल करने और जेल से कोर्ट आने-जाने के लिए अत्याधुनिक हथियारों से लैस मुख्तार के आदमियों द्वारा इस एंबुलेंस का इस्तेमाल करने का आरोप है। एफआईआर के मुताबिक, डॉक्टर अलका राय के नाम पर इस एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन था।

डॉ अलका राय के नाम पर था एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन

वहीं, 2021 में यह सामने आया कि एम्बुलेंस बिना फिटनेस और इंश्योरेंस के चलाई जा रही थी क्योंकि उक्त एम्बुलेंस का फिटनेस 2017 में खत्म हो गया था। इस मामले में डॉक्टर अलका राय को सह-आरोपी बनाया गया था। जांच के दौरान यह पता चला कि एंबुलेंस का वास्तव में इस्तेमाल अंसारी के आदमी करते थे और उन्होंने डॉ. अलका राय पर दबाव बनाकर और उनको पैसे देकर इसे खरीदा था।

अंसारी पर आईपीसी की धारा के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक साजिश, झूठी सूचना देने और आपराधिक धमकी देने का मामला दर्ज किया गया था। बेंच के सामने एक तस्वीर रिकॉर्ड पर रखी गई थी, जिसमें दिखाया गया था कि कैसे मुख्तार अंसारी मऊ की एक अदालत में उस एम्बुलेंस में अपने आदमियों के साथ आया था।