Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में यूपी पुलिस को एक प्रेगनेंट महिला को 6 घंटे से भी ज्यादा वक्त तक पुलिस स्टेशन में रखने के लिए कड़ी फटकार लगाई। पुलिस ने ऐसा इस वजह से किया ताकि उसके कथित अपहरण से संबंधित 2021 के एक मामले में उसका बयान दर्ज किया जा सके। जस्टिस अत्ताउ रहमान मसूदी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की बेंच ने आईओ के आचरण पर भी हैरानी जताई और डीजीपी को मामले की जांच करने के लिए कहा। इतना ही नहीं कोर्ट ने महिला को एक लाख रुपये देने का भी आदेश दिया और कहा कि उसकी पीड़ा को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘पीड़िता जो लगभग आठ महीने की गर्भवती है। उसे 12.15 बजे से लेकर शाम 6.30 बजे तक पुलिस थाने में बैठाकर यातना दी गई।’ कोर्ट ने महिला को तत्काल छोड़ने का आदेश दिया। कोर्ट ने इस मामले में दखल महिला के पति द्वारा दायर याचिका पर दिया है। कोर्ट के सामने मौजूद जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने पिछले महीने महिला को उसके भाई द्वारा द्वारा 2021 में आगरा में दर्ज कराई गई एफआईआर के सिलसिले में हिरासत में लिया था।
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क्या है पूरा मामला
अब मामले पर गौर करें तो 14 अगस्त 2021 को आगरा कॉलेज में पेपर देने गई युवती घर पर वापस नहीं लौटी। उस समय उसकी उम्र 21 साल थी और वह ग्रेजुएशन की स्टूडेंट थी। इसके बाद महिला के पति के खिलाफ किडनैपिंग का केस दर्ज किया गया। गौरतलब है कि महिला के परिवार द्वारा उसके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराने के एक दिन बाद ही दोनों ने शादी कर ली थी। बेंच ने यह देखकर हैरानी जताई कि तीन सालों तक किडनैपिंग मामले में मुखबिर का बयान दर्ज करने के अलावा कोई भी विकास नहीं हुआ। इसमें यह भी बताया गया है कि वर्तमान जांच अधिकारी एसआई अनुराग कुमार को दो महीने पहले ही पुलिस थाने में तैनात किया गया था और उसके बाद उन्होंने जांच का जिम्मा संभाला था।
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जांच अधिकारी के पास केस डायरी भी नहीं थी और वह महिला का बयान दर्ज करने के बहाने उसे पुलिस थाने ले गया। बेंच ने इसे दिखावटी जांच करार दिया और यह भी कहा कि जांच अधिकारी ने सफाई के हर एक फेज में अपने बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है और इससे कोर्ट में भरोसा पैदा नहीं होता। नौकरी के लिए हुई परीक्षा के बाद VVIP के करीबियों को मौका, हाई कोर्ट ने बताया ‘चौंकाने वाला घोटाला’ पढ़ें पूरी खबर…