यूपी में 69 हजार शिक्षकों भर्ती की पूरी लिस्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रद्द कर दी है। लखनऊ बेंच ने फैसला सुनाते हुए 1 जून 2020 को जारी पूरी मेरिट लिस्ट को ही रद्द कर दिया है। हाई कोर्ट के फैसले से योगी सरकार को झटका लगा है। तो वहीं विपक्ष के साथ-साथ अपनों ने भी योगी सरकार पर निशाना साधा है। अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट पर सवाल उठाती रही हैं। वहीं हाई कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने कहा कि खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी माना था कि भर्ती में आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई है। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।

अनुप्रिया पटेल ने किया स्वागत

अनुप्रिया पटेल ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “69000 शिक्षक भर्ती मामले में माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत है। खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने माना था कि इस भर्ती मामले में आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई। अब जबकि माननीय उच्च न्यायालय ने आरक्षण नियमों का पूर्ण पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया है, तब उम्मीद करती हूं कि वंचित वर्ग के प्रति न्याय होगा। जो माननीय उच्च न्यायालय ने कहा है, मैंने भी हमेशा वही कहा है।

अनुप्रिया पटेल ने कहा, “मैंने इस विषय को हमेशा सदन से लेकर सर्वोच्च स्तर पर उठाया है। जब तक इस प्रकरण में वंचित वर्ग को न्याय नहीं मिल जाता मैं इस विषय को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए लगातार हर संभव प्रयास करती रहूंगी।”

यूपी में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती की पूरी लिस्ट हुई रद्द, हाईकोर्ट ने दिया आदेश, कैसे हुआ था पूरा खेल

हाईकोर्ट का फ़ैसला सामाजिक न्याय की दिशा में स्वागत योग्य कदम- केशव मौर्य

वहीं केशव प्रसाद मौर्य ने भी X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फ़ैसला सामाजिक न्याय की दिशा में स्वागत योग्य कदम है। यह उन पिछड़ा व दलित वर्ग के पात्रों की जीत है जिन्होंने अपने अधिकार के लिए लंबा संघर्ष किया। उनका मैं तहेदिल से स्वागत करता हूं।”

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यूपी सरकार को आदेश दिया है कि वह 3 महीने के अंदर नई मेरिट लिस्ट जारी करे। हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि नई मेरिट लिस्ट में बेसिक शिक्षा नियमावली और आरक्षण नियमावली का पूरा पालन होना चाहिए।