Allahabad High Court : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद को गिराने के लिए जनता को उकसाने के आरोपी हिंदू सेना के महासचिव दिग्विजय चौबे की जमनात याचिका मंजूर कर दी है। कोर्ट ने दिग्विजय चौबे की गिरफ्तारी पर भी रोक लगा दी है। दिग्विजय चौबे के खिलाफ वाराणसी के भेलुपुर पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 153ए, 29ए, 505(2) में केस दर्ज है।

दिग्विजय चौबे पर क्या आरोप थे ?

इलाहाबाद हाई कोर्ट के सुभाष चंद शर्मा की सिंगल बेंच ने पुलिस चार्जशीट दायर होने तक दिग्विजय चौबे को अग्रिम जमानत दे दी है। आरोपी दिग्विजय चौबे पर कथित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद को गिराने के लिए जनता को उकसाने के बाद भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए मामला दर्ज किया गया था।

न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र शर्मा ने 25,000 रुपये के निजी मुचलके पर अग्रिम जमानत दी है। गौरतलब है कि पिछले साल 2022 अगस्त में ज्ञानवापी विवादित मस्जिद में दिग्विजय चौबे जलाभिषेक और पूजा-अर्चना करना चाहते थे। इस दौरान दिग्विजय चौबे को रोका गया तो उन्होने मस्जिद का हाल बाबरी मस्जिद जैसा करने की धमकी दी और उसे ढहाने की बात कही थी। इसके बाद उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। दिग्विजय ने गिरफ्तारी से बचने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी।

FIR में नहीं था चौबे का नाम, बाद में जोड़ा गया

दिग्विजय चौबे के वकील ने कोर्ट के सामने मामले की सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि इस मामले में एफआईआर अरुण पाठक के खिलाफ दर्ज की गई थी जो विश्व हिंदू सेना के अध्यक्ष हैं। चौबे का नाम शुरू में प्राथमिकी में नहीं था, लेकिन बाद में जांच के दौरान जोड़ा गया था। जबकि उनकी भूमिका साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं था।

वकील ने इस दौरान यह भी कहा कि अगर चौबे को जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह जमानत की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेंगे और जांच में सहयोग करेंगे। जबकि स्टेट के वकील ने अग्रिम जमानत की प्रार्थना का विरोध किया था।