अलीगढ़ जिला जेल उत्तर प्रदेश की पहली जेल बन गई है जहां के सभी कैदी साक्षर हैं। इस जेल में कैदियों की संख्या 2,920 है। कैदियों को साक्षरता मिशन कार्यक्रम के तहत पढ़या जा रहा है। जेल के करीब 22 कैदी कार्यक्रम के तहत कंप्यूटर भी चलाना सीख गए हैं। खून के आरोप में जेल में बंद एक प्रोफेसर और नौ इंजीनियर स्नातक मिलकर दूसरे कैदियों को पढ़ा रहे हैं। जेल के दो बैरकों में रोजाना दो घंटे सुबह दो घंटे शाम क्लास भी चलती है।

जेल अधिक्षक विरेश राज शर्मा ने कहा, ” हमारे प्रयासों के चलते जेल के सभी कैदी साक्षर हो गए हैं। जिन कैदियों को बीच में ही अपनी पढ़ाई किसी कारणवश छोड़नी पड़ती है हम उन्हें अलग से सुविधा देते हैं।” जेल में कंप्यूटर शिक्षा के लिए 19 कंप्यूटर हैं। कैदी जिस समय जेल में आते हैं तभी उनकी शैक्षिक योग्यता के आधार पर उन्हें बांट दिया जाता है। इस जेल में 804 कैदियों की क्षमता है लेकिन जेल में क्षमता से तीन गुना ज्यादा कैदी है। अलीगढ़ के 55 वर्षीय अब्दुल कबीर दो महीने पहले खून के इल्जाम में जेल आए थे। कबीर इरान के एक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। कबीर पर अपनी नौकरानी के खून का इल्जाम है। उनके बेटे भी इसी केस के सिलसिले में इसी जेल में बंद है। कबीर कैदियों के लिए चलाई जा रही क्लास को पढ़ाते हैं। जेल में बंद नौ इंजीनियर स्नातक पर दहेज, हत्या का प्रयास जैसे आरोप हैं।

इनके आलावा जेल में बंद 8 ग्रेजूएट, तीन पोस्टग्रेजूएट के अलावा जेल के अधिकारी भी शैक्षिक कार्यक्रम में भाग लेते हैं।  जेल अधिक्षक का कहना है कि क्लास के लिए आवश्यक चीजें कैदी को लिए बनाए गए वैलफेयर फंड और एनजीओ की सहायता से उपलब्ध हो जाती हैं। इस कार्यक्रम के कारण 260 कैदियों ने फिर से अपनी शिक्षा शुरू कर दी है। वहीं 36 कैदी हाई स्कूल की परीक्षा में बैठे हैं और 48 कैदियों ने इंटर के एग्जाम दिए हैं। 450 कैदी इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से स्नातक की परीक्षा दे रहे हैं।