Alauli Assembly Election Result 2025: बिहार के खगड़िया जिले में स्थित अलौली विधानसभा सीट पर शुरु हुई वोटों की गितनी में पहले राउंड के बाद जेडीयू के राम चंद्र सदा ने 2500 वोटों की बढ़त बनाई है। इस बार उनके सामने मुकाबले में मुख्य उम्मीदवार के तौर पर आरजेडी के रामवृक्ष सदा मैदान में है।
राज्य की राजनीति में एक खास पहचान रखती है। 1962 में स्थापित यह सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है और अब तक यहां 15 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। अलौली का राजनीतिक इतिहास कांग्रेस और समाजवादी विचारधारा वाले दलों के उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। कांग्रेस ने यहां चार बार जीत दर्ज की, जबकि समाजवादी धारा से जुड़े दलों — जनता दल, जनता दल (यू), राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) — ने कुल 11 बार इस सीट पर कब्जा किया। इस क्षेत्र का नाम दिवंगत रामविलास पासवान की राजनीतिक यात्रा से भी जुड़ा है। उन्होंने 1969 में यहां से अपना पहला चुनाव जीता था और इसके बाद उनके भाई पशुपति कुमार पारस ने इस सीट पर छह बार लगातार जीत दर्ज कर एक लंबा राजनीतिक अध्याय लिखा।
Bihar Assembly Election Results LIVE
2020 के विधानसभा चुनाव में अलौली सीट पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के रामवृक्ष सदा ने जदयू की साधना देवी को 2,773 वोटों के अंतर से हराया था। उस चुनाव में एलजेपी ने एनडीए से अलग होकर प्रत्याशी उतारा, जिससे वोटों का बड़ा विभाजन हुआ और राजद को संकीर्ण अंतर से जीत मिली। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की एकजुटता ने तस्वीर बदल दी, जब एलजेपी (रामविलास) के उम्मीदवार राजेश वर्मा ने सीपीआई (एम) के संजय कुमार को 1,61,131 वोटों के विशाल अंतर से पराजित किया। इस लोकसभा चुनाव में अलौली विधानसभा क्षेत्र से एनडीए को भारी बढ़त मिली, जिससे संकेत मिलता है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में यहां एक बार फिर कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।
Bihar Election Commission Result 2025 LIVE
विधानसभा चुनाव 2020 का हाल
| क्रम संख्या | उम्मीदवार | पार्टी | वोट |
| 1 | रामवृक्ष सदा | राष्ट्रीय जनता दल (RJD) | 47183 |
| 2 | साधना देवी | जेडीयू | 44410 |
| 3 | रामचंद्र सदा | लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) | 26386 |
2020 में अलौली में कुल 2,52,891 मतदाता पंजीकृत थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव तक बढ़कर 2,67,640 हो गए। इनमें अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 25.39% और मुस्लिम मतदाता 7.6% हैं। यह क्षेत्र पूरी तरह से ग्रामीण है, जहां शहरी मतदाता नगण्य हैं। समाजिक समीकरण में सदा, पासवान, मुसहर, कुशवाहा और अल्पसंख्यक समुदाय निर्णायक भूमिका निभाते हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस बार का चुनाव जातीय ध्रुवीकरण और गठबंधन समीकरणों के बीच संतुलन साधने की परीक्षा साबित होगा। हाल के वर्षों में मतदाता भागीदारी में गिरावट देखी गई है — 2015 में 59.7%, 2019 में 58.2% और 2020 में सिर्फ 57.09% मतदान हुआ — जो जनता में विकास को लेकर निराशा को दर्शाता है।
विधानसभा चुनाव 2015 का हाल
| क्रम संख्या | उम्मीदवार | पार्टी | वोट |
| 1 | चंदन कुमार | राष्ट्रीय जनता दल (RJD) | 70519 |
| 2 | पशुपति कुमार पारस | लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) | 46049 |
| 3 | मनोज सदा | भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) | 7087 |
अलौली की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि और पशुपालन पर आधारित है। यहां के खेत उपजाऊ हैं, लेकिन सिंचाई की कमी और बाढ़ की समस्या किसानों के लिए लगातार चुनौती बनी हुई है। रोजगार के सीमित अवसरों के कारण बड़ी संख्या में लोग खगड़िया, बेगूसराय और अन्य शहरों की ओर पलायन करते हैं। सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी भी स्थानीय असंतोष का कारण है। 2025 के विधानसभा चुनाव में मतदाता विकास और स्थायी रोजगार जैसे मुद्दों को प्राथमिकता पर रख सकते हैं। इस बार राजद के रामवृक्ष सदा और जदयू के रामचंद्र सदा के बीच मुकाबला दिलचस्प रहेगा, जबकि एनडीए की एकता और वामपंथी दलों की रणनीति यह तय करेगी कि अलौली की जनता किस पर भरोसा जताती है।
