देश की राजधानी दिल्ली में हर साल की तरह इस साल भी वायु प्रदूषण लगातार तेजी से बढ़ रहा है। इससे निपटने के लिए सरकार लगातार हरसंभव कदम उठा रही हैं। वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए केंद्र सरकार के एक नई एजेंसी की स्थापना की है। लेकिन सरकार के इस फैसले के बाद वही समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) को हुईं थी।

केंद्र सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अध्यादेश के जरिए एक नया कानून बनाया है। यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। केंद्र के अध्याधेश को कमिशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट एन एनसीआर एंड अजॉइनिंग एरियाज ऑडिनेंस 2020 कहा जाएगा। गुरुवार तक, प्रदूषण के मुद्दे पर निगरानी और कार्रवाई करने वाली सबसे महत्वपूर्ण एजेंसी पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण थी, इसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 1998 में अधिसूचित किया गया था।

वायु की गुणवत्ता सुधारने के लिए बनने वाले इस कमीशन का फोकस प्रदूषण की निगरानी, नियमों को लागू करने के साथ रिसर्च और इनोवेशन पर रहेगा. यह कमीशन तीन सब कमिटी का गठन करेगा ताकि इन तीनों सेक्टर्स की जांच की जा सके। यह समिति पराली जलाने, गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण, धूल से होने वाले प्रदूषण सहित उन सभी मामलों पर गौर करेगी जिसकी वजह से दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण फैलता है। यह कमीशन संसद में अपनी सालाना रिपोर्ट जमा करेगी।

‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के कानूनी शोधकर्ता कांची कोहली का कहना है कि इस अध्यादेश के को लेकर कई दिक्कतें हैं। वायु प्रदूषण जैसे सार्वजनिक मुद्दों से निपटने के लिए कानूनी और नियामक परिवर्तनों को एक लोकतांत्रिक अवधारणा की आवश्यकता है।”

कोहली ने कहा कि इस अध्यादेश के लागू होने से यह बात साफ है कि दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण से जुड़ी मुद्दों को केंद्र सरकार ने अपने नियंत्रण में ले लिया है। इसके अध्यक्ष को भी केंद्र सरकार ने ही नियुक्ति किया है। ऐसे में आयोग पर नौकरशाह हावी रहेंगे और उन्हें कानूनी ढांचा विभिन्न शक्तियां प्रदान करता है।

कोहली ने कहा एक समस्या और है। अधिनिर्णय को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) तक ही सीमित रखा गया है। यह चिंता का विषय है क्योंकि आयोग और एनजीटी दोनों के अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति केंद्र द्वारा की जाएगी। बता दें केंद्र सरकार की तरफ से जारी किए गए ऑर्डिनेंस के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण फैलाने पर 5 साल तक की सजा और 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसमें दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में वायु की गुणवत्ता सुधारने के लिए कमीशन नियुक्त करने की भी बात की गई है।