पश्चिमी महाराष्ट्र के एक नगर निगम ने एक पूर्व इंडियन एयरफोर्स के पायलट के नाम पर एक चौक का नाम रखा है। उन्हें ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री जेबी पटनायक को भीड़ के उपद्रव से बचाने के लिए शौर्य चक्र मिला था। सांगली-मिराज-कुपवाड़ सिटी नगर निगम के एक अधिकारी ने भाषा को बताया कि नगर निगम ने सांगली शहर में कोल्हापुर रोड आकाशवाणी चौक का नाम बहादुर पायलट विंग कमांडर प्रकाश नवले चौक रखा है।
1982 में तत्कालीन फ्लाइट लेफ्टिनेंट नवले को गोपालपुर में भीड़ के उपद्रव से ओडिशा के तत्कालीन सीएम पटनायक की जान बचाने के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। इस अवार्ड में लिखा हुआ था कि 20 सितंबर 1980 को फ्लाइट लेफ्टिनेंट प्रकाश धुलप्पा नवले फ्लाइंग को ओडिशा के बाढ़ प्रभावित इलाकों में और उसके आसपास की टोह लेने के लिए एक वीआईपी को उड़ाने के लिए बुलाया गया था। गुनपुर में उतरने के बाद वीआईपी ने हेलीकॉप्टर के चारों ओर लोगों से बात करना शुरू कर दिया। ऐसा करते समय, भीड़ के एक हिस्से ने उनके खिलाफ नारे लगाना शुरू कर दिया। आंदोलन ने स्पीड पकड़ ली और जल्द ही भीड़ वीआईपी के पास पहुंचने लगी।
घर में सो रहे थे एयरफोर्स के चीफ इंजीनियर
लेफ्टिनेंट के साथ मारपीट की
इस अवार्ड में आगे लिखा था कि फ्लाइट लेफ्टिनेंट नवले ने संकट को देखते हुए भीड़ के बीच से अपना रास्ता बना लिया। उपद्रवी भीड़ ने न केवल फ्लाइट लेफ्टिनेंट नवले के साथ मारपीट की, बल्कि उन्हें और वीआईपी को हेलीकॉप्टर से दूर ले गए। इसमें तोड़फोड़ भी कर दी गई। भीड़ का गुस्सा शांत होने के बाद फ्लाइट लेफ्टिनेंट नवले और वीआईपी वापस लौटे। उन्होंने जल्दी से नुकसान का आकलन किया और ऐसा करते समय एक व्यक्ति ने उनसे कहा कि वे उड़ान भरें और वीआईपी को वहीं छोड़ दें। उन्होंने स्थिति का फायदा उठाया और उड़ान भर ली। वे तुरंत वापस उतरे और वीआईपी को जल्दी से खींचकर सुरक्षित रूप से गोपालपुर ले गए।
नगर निगम को नवले ने दिया धन्यवाद
इसमें कहा गया कि अगर फ्लाइट लेफ्टिनेंट नवले ने उस समय पर वीआईपी को बाहर नहीं निकाला होता, तो स्थिति गंभीर हो सकती थी और वीआईपी को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते थे तथा कानून-व्यवस्था की स्थिति और बिगड़ सकती थी। समाचार न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए नवले ने उन्हें दिए गए सम्मान के लिए नगर निगम को धन्यवाद दिया। उन्होंने नगर निगम के साथ इस मुद्दे को उठाने के लिए बीजेपी विधायक सुधीर गाडगिल का भी आभार व्यक्त किया। दोनों सैनिक स्कूल सतारा के पूर्व छात्र हैं।’ नवले ने कहा कि घटना के बाद पटनायक ने उन्हें भुवनेश्वर बुलाया था और उनकी जान बचाने के लिए धन्यवाद बोला था। भारत ने की सबसे बड़ी डिफेंस डील