ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) पूरे पश्चिम बंगाल में वर्कशॉप की एक सीरीज करने की योजना बना रहा है। इसमें मुस्लिम महिलाओं को यह समझाया जाएगा कि वे शादीशुदा जीवन से जुड़े विवादों में पति के खिलाफ पुलिस या कोर्ट में जाने से बचें और इन्हें परिवार के अंदर ही शरिया कानूनों के तहत सुलझाने की कोशिश करें। यह फैसला ऐसे वक्त में लिया गया है, जब केंद्र सरकार ने हाल ही में एक विधेयक पास करके तुरंत तीन तलाक देने को अपराध के दायरे में ला दिया है। AIMPLB की योजना है कि बंगाल के बाद इस तरह के वर्कशॉप पूरे भारत में आयोजित किए जाएंगे।

AIMPLB की एक्जीक्यूटिव मेंबर और महिला विंग की प्रमुख अस्मा जेहरा ने हैदराबाद से द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत की। उन्होंने कहा कि ये वर्कशॉप हिंदी और बंगाली में आयोजित किए जाएंगे। इसके अलावा, जिला स्तर पर कुछ महीनों के अंदर जागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे। जेहरा ने कहा, ‘हमें महसूस हुआ कि सामाजिक बदलाव की जरूरत है, कानूनी नहीं… हम उन्हें (महिलाओं को) समझाएंगे कि शादी से जुड़े विवादों में तुरंत कोर्ट या पुलिस के पास जाने के बजाए किसी को भी ये मामले परिवार के बड़ों की मौजूदगी में घर में ही सुलझाना चाहिए। हमें महिलाओं को संपत्ति का अधिकार, पति से नाखुश होने पर पिता के घर लौटने का अधिकार, हिंसा के खिलाफ अधिकार आदि के बारे में बताएंगे, जो शरिया के तहत उन्हें मिले हुए हैं।’

सरकार के विधेयक की निंदा करते हुए जेहरा ने कहा कि इससे हल निकलने के बजाए और ज्यादा कन्फ्यूजन पैदा होगा। उन्होंने कहा, ‘इसका मकसद सिर्फ महिलाओं को सशक्त करना है। सास का क्या? वह भी तो महिला है। इस सशक्तीकरण का परिवार की सभी महिलाओं पर दूरगामी असर पड़ने वाला है। क्या मैं अपने बेटे या भाई को जेल जाते देखना चाहती हूं? अगर मेरा बेटा जेल में है तो मैं भी तकलीफ उठाऊंगी। इसकी वजह से पत्नी-पति के रिश्तों को गहरा नुकसान पहुंचेगा।’ उन्होंने कहा कि महिलाओं को इस्लामिक कानून के तहत मिलने वाले बेहतर हल की जानकारी होनी चाहिए। उधर, AIMPLB की कन्वीनर उज्मा आलम ने कहा कि वर्कशॉप के लिए जिलों का चयन किया जा रहा है। सबसे पहले रानीगंज और आसानसोल में इसका आयोजन किया जाएगा। इन कैंपों का आयोजन जाड़े के मौसम में होने की उम्मीद है क्योंकि इस मौसम में यात्रा करना सहज होता है।