राजस्थान में स्कूली किताबों से सूचना के अधिकार की जानकारी देने वाले चेप्टर्स को भी हटा दिया गया है। इससे पहले किताबों से पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और कई अन्य स्वंतत्रता सैनानियों को इतिहास के पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया था। कक्षा आठ में सामाजिक विज्ञान की किताब में पुराने सिलेबस में 12वें चेप्टर में 105 नंबर पर आरटीआई के बारे में विस्तार से लिखा गया था। इसमें आरटीआई और लोगों के आंदोलन के बारे में प्रकाश डाला गया था। अब बदले गए पाठ्यक्रम में इसे हटा दिया गया है।
बता दें कि आरटीआई लंबे समय की मांग के बाद लागू की गई थी। इसके पीछे अरुणा रॉय और निखिल डे ने लंबे समय तक आंदोलन चलाया था। राजस्थान के लोगों ने भी आरटीआई को लागू करने में अहम भूमिका निभाई थी। आरटीआई को किताबों से हटाने के मामले में पर अरुणा रॉय, निखिल डे और मजदूर किसान शक्ति संगठन के सदस्य जल्द ही राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मुख्य सचिव को इन बदलावों को रोकने के लिए पत्र लिखेंगे।
मजदूर किसान शक्ति संगठन की ओर से जारी बयान के अनुसार, ”एक कानून से जुड़ा चेप्टर हटाने से पता चलता है कि ऐसा गलत मकसद से किया गया है। आरटीआई आंदोलन और कानून पूरी दुनिया के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है और इसे राजस्थान में किताबों से हटा दिया गया। राजस्थान के गरीब और वंचित लोगों ने आरटीआई संघर्ष में बड़ी भूमिका निभाई थी।” संगठन के अनुसार आरटीआई कानून के साथ ही देश और राज्य से जुड़े कई ऐतिहासिक इवेंट भी हटा दिए गए हैं। यह गंभीर बात है। उनका आरोप है कि यह बदलाव राजनीतिक कारणों से किए गए हैं।
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मजदूर किसान शक्ति संगठन ने इस संबंध शिक्षा विभाग में आरटीआई याचिका भी दायर की है। इसमें सिलेबस में बदलाव पर आया खर्च और इसकी प्रक्रिया की जानकारी मांगी गई है। कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर भाजपा सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता अर्चना शर्मा ने कहा कि यह निंदनीय है। आरटीआई एक्ट यूपीए सरकार लाई थी और इसके बाद से पारदर्शिता बढ़ी है। वहीं भाजपा प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा कि हर किताब पर कमेंट करना ठीक नहीं है। पूरा सिलेबस अभी बाहर नहीं आया है। यदि कोई चेप्टर हटा है तो वह अगले साल शामिल कर लिया जाएगा।
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