सदफ मोदक

महाराष्ट्र के मुंबई में कोर्ट ने 30 साल बाद नाबालिग लड़की के अपहरण और रेप के आरोपी को बाइज्जत बरी कर दिया है। यह केस वर्ष 1988 में मुंबई के एयरपोर्ट पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। उस समय आरोपी व्यक्ति की उम्र 16 वर्ष थी। आज उस व्यक्ति की उम्र 46 साल है। अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि आरोपी ने शादी का झांसा देकर लड़की को अगवा कर उसके साथ रेप किया था। वहीं, अारोपी ने कहा कि रेप और अगवा करने जैसी बात ही नहीं थी। दोनों एक दूसरे के साथ प्रेम करते थे। दरअसल, जिस समय की यह घटना है, उस समय लड़की आठवीं कक्षा में पढ़ती थी। वहीं, अारोपी लड़की का पड़ोस में रहता था। दोनों एक दूसरे से पहले से परिचित थे।

इस पूरे मामले पर मुख्य जज पीवी गांडीवाला ने अपने ऑर्डर में कहा, “पीडि़ता की गवाही से यह प्रतीत होता है कि उसने यौन संबंध बनाने के लिए अपनी सहमति दी थी। उस समय पीडि़ता की उम्र 16 साल से ज्यादा थी। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 के तहत साल 1988 में 16 साल से ज्यादा उम्र की लड़की के साथ सहमति से संबंध बनाना रेप की श्रेणी में नहीं आता था। आरोपी की उम्र भी 16 साल थी। इस बात का कोई पुख्ता आधार नहीं है कि 16 साल के आरोपी ने 17 साल की लड़की के साथ उसके माता-पिता के पास से अगवा किया और उसके साथ बलात्कार किया।”

कोर्ट ने कहा, “आरोपी, जिसकी उम्र अभी 46 साल है और एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता है, ने खुद को एयरपोर्ट पुलिस स्टेशन में आत्मसमर्पण कर दिया था और फिर उसे कोर्ट के समक्ष उपस्थित किया गया था। कोर्ट ने अपने आदेश में यह कहा है कि अपराध करने के समय आरोपी नाबालिग था। 1988 में आरोपी की उम्र को देखते हुए जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड के समक्ष मामला पेश नहीं किया जाएगा। आॅर्डर में आगे कहा गया है आरोपपत्र में उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं था।”

वहीं, अभियोजन पक्ष के अनुसार, लड़की 1988 में आठवीं कक्षा की छात्रा थी। जब उसके माता-पिता ने उसे घर पर नहीं पाया तो खोजबीन शुरू कर दी। संदेह के आधार पर अारोपी, जो उनका पड़ोसी भी था, के खिलाफ लड़की के परिजनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवायी। चार दिन बाद लड़की आरोपी के अंधेरी स्थित घर में मिली। लड़की ने अपने बयान में कहा कि लड़का उसे गुजरात स्थित अपने पैतृक घर ले गया था।