भारत ने बुधवार (3 मार्च) को संकेत दिया है कि पठानकोट हमले की पृष्ठभूमि में वार्ताओं से ज्यादा प्राथमिकता पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को दी जाएगी। पठानकोट हमले के कारण विदेश सचिव स्तर की वार्ताएं स्थगित हो गई थीं। विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा, ‘‘आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में यदि आप मुझसे पूछते हैं कि आप किसे प्राथमिकता देते हैं?…एक आतंकी हमले को या कूटनीतिक वार्ता को…तो मुझे लगता है कि जवाब स्वाभाविक ही होना चाहिए।’’
विदेश सचिव दरअसल भू-आर्थिकी एवं भू-राजनीति पर आयोजित एक सम्मेलन ‘रायसीना डायलॉग’ के संवादात्मक सत्र में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। उनसे पूछा गया था कि क्या दोनों देशों के बीच की विदेश सचिव स्तर की वार्ताओं का संबंध पठानकोट आतंकी हमले पर भारत की ओर से पाकिस्तान को दी गई जानकारी पर उसके द्वारा उठाए गए कदमों से है?
जयशंकर ने कहा कि दोनों ही देश पठानकोट हमले के बाद से एक दूसरे के संपर्क में हैं। पहले यह संबंध राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकारों के स्तर पर है और कुछ हद तक यह उनके (एस जयशंकर) और उनके पाकिस्तानी समकक्ष के बीच भी है। विदेश सचिव ने कहा कि ‘‘समानांतर प्रक्रियाओं’’ पर काम चल रहा है।
पठानकोट हमले के लिए भारत ने आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद को दोषी बताया था और हमले के साजिशकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। इस हमले के कारण भारत-पाक विदेश सचिव स्तरीय वार्ताएं स्थगित हो गई थीं। भारत ने कहा था कि जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मसूद अजहर हमले का मास्टरमाइंड है।
भारत और पाकिस्तान के समग्र रिश्तों के बारे में उन्होंने कहा कि भारत इस्लामाबाद के साथ ‘‘कहीं ज्यादा आधुनिक संबंध’ चाहता है लेकिन उसके लिए कई मुद्दों के प्रति रुख में बदलाव की जरूरत है और आतंकवाद उन मुद्दों के ‘केंद्र’ में है। भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर संपर्क की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ताली दोनों हाथों से बजती है’’ और भारत इस्लामाबाद के साथ भी वैसे ही रिश्ते रखना चाहेगा, जैसे वह अन्य पड़ोसियों के साथ रखता है।
अवरोधों को मिटाने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश के अधिकतर लोग पाकिस्तान के साथ एक सामान्य पड़ोसी की तरह बर्ताव करना चाहते हैं। इसलिए हम पाकिस्तान के साथ भी वैसा ही :बर्ताव: करना चाहेंगे, जैसा हम बाकी देशों के साथ करते हैं। लेकिन तथ्य यह है कि इसमें कई अवरोधक हैं और हम जानते हैं कि अवरोधक क्या हैं?’’
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत और पाकिस्तान अलग-थलग रह सकते हैं, तो उन्होंने कहा कि उन्हें अलग-थलग नहीं रहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि नयी दिल्ली की ओर से पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं।
जयशंकर ने कहा, ‘‘मैं भारत के ऐसे किसी प्रधानमंत्री के बारे में नहीं सोच सकता, जिन्होंने पाकिस्तान के साथ रिश्ते बेहतर बनाने की कोशिश न की हो।’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से बेहतर रिश्ते बनाने की दिशा में बढ़ने के उनके तौर-तरीकों में जरूर कुछ फर्क हो सकता है।
पिछले माह, पाकिस्तान ने पठानकोट आतंकी हमला मामले में एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी और भारत ने इसे हमले के साजिशकर्ताओं को न्याय के कटघरे में लाने के लिए ‘‘आगे की दिशा में बढ़े कदम’’ के रूप में देखा। भारत ने हमले का मास्टरमाइंड मसूद अजहर को बताया था लेकिन प्राथमिकी ‘अज्ञात लोगों’ के खिलाफ दर्ज की गई।
भारत ने इस बात के साक्ष्य जमा करवाए थे कि जिन छह लोगों ने एयरबेस पर गोलीबारी की, वे सीमा पार से आए थे। इसके साथ ही भारत ने अजहर के नेतृत्व वाले आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहाकार सरताज अजीज ने मंगलवार (2 फरवरी) कहा था कि अगले कुछ दिनों में एसआईटी भारत का दौरा कर सकती है। उन्होंने विदेश सचिव स्तर की वार्ताओं के जल्दी बहाल हो जाने की उम्मीद भी जताई थी। पाकिस्तान ने पिछले सप्ताह आतंकी हमले की जांच के लिए पांच सदस्यीय संयुक्त जांच दल (जेआईटी) का गठन किया था।
इससे पहले सरकार ने भारत की ओर से दिए गए साक्ष्यों के आधार पर दो जनवरी के हमले की प्रारंभिक जांच के लिए छह सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था।