केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा है कि आरोपी सरकारी अधिकारियों को उनके खिलाफ शिकायत की प्रति प्राप्त करने का अधिकार है, भले ही आरोप यौन उत्पीड़न के हों। यहां जीबी पंत अस्पताल में डा. अरुणा लता अग्रवाल के खिलाफ पीजी छात्रों द्वारा दाखिल एक शिकायत से संबंधित रिकॉर्ड यौन उत्पीड़न से संबंधित आरोपों के आधार पर रोकने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय की खिंचाई करते हुए सीआइसी ने कहा कि उसे डॉक्टर के खिलाफ इस तरह का कोई आरोप नहीं मिला।
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्यलू ने कहा कि बार बार गहन पड़ताल के बाद भी आयोग को यौन उत्पीड़न से संबंधित कोई आरोप नहीं मिला। केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआइओ) को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा वितरित नियम व एफएक्यू देखने चाहिए। ताकि समझा जा सके कि यौन उत्पीड़न के आरोपी अधिकारियों को उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत की प्रति प्राप्त करने का अधिकार है।
सीपीआइओ आरोपी अधिकारी को शिकायत से संबंधित जानकारी या कागज देने से इनकार नहीं कर सकते। सीपीआइओ की तरफ से इस तरह की दलील उचित नहीं है। मामला अरुणा अग्रवाल और उनके पति संजय अग्रवाल के खिलाफ पीजी के नौ छात्रों द्वारा लगाए गए उत्पीड़न के आरोपों से जुड़ा है। इसके बाद अरुणा को दिल्ली विश्वविद्यालय से वापस केंद्र में भेज दिया गया था। अरुणा अग्रवाल ने आरटीआइ अर्जी के माध्यम से विश्वविद्यालय से शिकायत से संबंधित जानकारी मांगी थी। लेकिन विश्वविद्यालय ने जानकारी देने से इनकार करते हुए कहा कि जानकारी सार्वजनिक करने से फरियादियों की शारीरिक सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।

