समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी की योगी सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है। वहीं अब इस मामले की सुनवाई 9 नवंबर को होगी। आजम की विधानसभा सदस्यता को रद्द कर दिया गया है और इसी के खिलाफ आजम खान सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।
जबकि आजम खान के विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है और अब्दुल्ला आजम की याचिका ख़ारिज कर दी है।
बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में रामपुर की सुआर विधानसभा क्षेत्र से अब्दुल्ला आजम के विधायक के तौर पर चुनाव को रद्द करने के आदेश दिए थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला आजम की तरफ से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी पाया था और उनकी सदस्यता को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने पाया था कि 2017 में चुनाव लड़ने के दौरान अब्दुल्ला आजम की उम्र 25 साल के कम थी।
अब्दुल्ला आजम खान के वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान कहा था कि एम्स में भी जन्म प्रमाणपत्र को डायरेक्टर या डिपार्टमेंट के हेड वेरीफाई नहीं करते हैं। सर्टिफिकेट पर इंट्री सीनियर डॉक्टर या डिपार्टमेंट का हेड नहीं करता है। सर्टिफिकेट पर इंट्री रेज़ीडेंट डॉक्टर या कोई अन्य करता है। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अब्दुल्ला आजम पर 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ते समय अपनी उम्र अधिक बताने के साथ गलत शपथपत्र देने का आरोप है। इस मामले में अब्दुल्ला के ख़िलाफ़ याचिका चुनाव में उनके प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार रहे काज़िम अली ख़ान ने दायर की थी। काजिम अली खान 2017 विधानसभा चुनाव में सुआर विधानसभा सीट से बीएसपी के उम्मीदवार थे।
बता दें कि आजम खान को भी हेट स्पीच मामले में दोषी पाया गया है और उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है। यानी आजम खान 42 साल बाद किसी भी सदन के सदस्य नहीं रहेंगे। आजम खान को तीन वर्ष की सजा भी सुनाई गई है। मई महीने में ही आजम खान सीतापुर जेल से छूटे थे। 28 महीने से वे जेल में बंद थे। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने आजम खान का केस लड़ा था और सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिली थी।