बिजवासन के बागी विधायक कर्नल (रि) देवेंद्र सहरावत पर उनके पिता राम प्रकाश सहरावत की ओर से लगाए गए जान के खतरे के पुराने आरोपों को सार्वजनिक करने को जाटों के साथ-साथ दिल्ली देहात के स्वाभिमान से भी जोड़ा जा रहा है। इसलिए कर्नल सहरावत को योजनाबद्ध तरीके से बदनाम करने के खिलाफ शनिवार को नजफगढ़ की जाट धर्मशाला में एक पंचायत बुलाई गई है, जिसमें दिल्ली देहात के गांवों की सभी बिरादरियों के लोगों को बुलाया गया है।
दिल्ली की सरकार में पहली बार दिल्ली देहात से या दिल्ली की परंपरागत बिरादरियों में से किसी को भी शामिल नहीं किया गया है। इसलिए यह पंचायत एक तरह से आप के खिलाफ ही हो रही है। कर्नल सहरावत पंजाब में आप की कमान संभालने वालों नेताओं पर लगाए गए यौन शोषण के आरोप पर अब भी कायम हैं। उनके मुताबिक, वे आप नेता संजय सिंह के मानहानि के मुकदमे का इंतजार कर रहे हैं। कर्नल का दावा है कि उनके पास हर आरोप के पुख्ता सबूत हैं। उनका यह भी कहना है कि पिछले साल पार्टी के कई वरिष्ठ सदस्यों को हटाए जाने के पीछे भी कुछ चरित्रहीन नेताओं का ही हाथ था। अभी तक तो नजफगढ़ की पंचायत के आयोजकों में किसी बड़े नेता का नाम साफ तौर पर सार्वजनिक नहीं हुआ है।
माना जा रहा है कि इस पंचायत के बहाने देहात के वे सभी नेता सक्रिय हो गए हैं जो आप के राजनीतिक विरोधी हैं या जिनको आप ने महत्त्व नहीं दिया है। आप ने पहला चुनाव 2013 में लड़ा, जिसमें उसे दिल्ली देहात में अपेक्षित सफलता नहीं मिली, लेकिन 2015 के चुनाव में तो बाकी दिल्ली से ज्यादा देहात के लोगों ने आप को समर्थन दिया। दिल्ली सरकार में पहली बार देहात का एक भी विधायक नहीं है और यहां की परंपरागत बिरादियों जाट, गुर्जर, यादव, ब्राह्मण आदि में से किसी को भी मंत्री नहीं बनाया। पंजाब में दिल्ली देहात जैसी बिरादरी नहीं है, लेकिन दिल्ली जैसा समीकरण जरूर है। पंजाब में जाट सिख ताकतवर रहे और दिल्ली में जाट-गुर्जरों के बिना सत्ता की डगर कठिन मानी जा रही थी। केजरीवाल ने अपनी लोकप्रियता के बूते उस समीकरण की उपेक्षा की। अब यही उपेक्षा उनकी परेशानी का सबब बन रही है।
पंजाब में पार्टी के सबसे प्रमुख चेहरे सुच्चा सिंह छोटेपुर को पार्टी से निकालने, आप में शामिल होने की संभावना से भाजपा की राज्यसभा सीट छोड़ने वाले नवजोत सिंह सिद्धू के हॉकी खिलाड़ी परगट सिंह के साथ नया दल बनाने की घोषणा और सांसद डॉ धर्मवीर मान, सिद्धू, छोटेपुर व स्वराज अभियान आदि का संभावित मोर्चा केजरीवाल के पंजाब की सत्ता में आने के अरमानों पर पानी फेरने लगा है।
