गुजरात में सरकारी स्कूलों की हालत बहुत खराब है। सरकार की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात में 700 स्कूल ऐसे हैं, जहां पढ़ाने के लिए सिर्फ एक टीचर हैं। पिछले दो सालों में 86 स्कूल बंद हो चुके हैं और 491 स्कूलों को मर्ज किया जा चुका है।
गुजरात में सरकार द्वारा संचालित 700 प्राथमिक विद्यालयों में सिर्फ एक शिक्षक हैं। जो कक्षा 1 से 8 तक के सभी छात्रों को पढ़ाते हैं। सरकार ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में ये जानकारी दी है। कच्छ जिले में 100 ऐसे स्कूल हैं, वहीं महिसागर के आदिवासी जिले में 74 तो तापी में 59 ऐसे स्कूल हैं।
ऐसा नहीं कि ऐसे स्कूल सिर्फ ग्रामीण इलाकों में ही हैं। शहरी इलाकों में भी ऐसे स्कूल काफी संख्या में मौजूद हैं। सूरत में 43, अहमदाबाद में चार, वडोदरा में 38 और राजकोट के 16 स्कूलों में सिर्फ एक ही शिक्षक हैं। इन्हीं के कंधों पर पढ़ाई से लेकर मैनेजमेंट तक का भार है। सिर्फ खेड़ा और भावनगर एकमात्र ऐसे जिले हैं जहां एक भी ऐसे स्कूल नहीं हैं।
राज्य सरकार ने कहा कि सेवानिवृत्ति, मृत्यु और शिक्षकों के तबादले के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। सरकार ने कहा है कि जल्द से जल्द आवश्यक संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। वहीं कांग्रेस विधायक ललित कागथरा ने सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान दावा किया कि भाजपा उपाध्यक्ष जयंती कावड़िया के पैतृक गांव हलवाड़ तालुका के घनश्यामगढ़ गांव में एक भी शिक्षक नहीं हैं और स्थानीय स्कूल को बंद कर दिया गया है।
सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए विभिन्न सवालों के जवाब में सरकार ने कहा कि पिछले दो वर्षों में गुजरात में 86 सरकारी प्राथमिक स्कूल बंद कर दिए गए हैं और 491 अन्य को मर्ज कर दिया गया। सबसे ज्यादा स्कूल जूनागढ़ जिले में बंद हुए हैं।
सरकार के इस जवाब से अब विपक्ष हमलावर हो गया है, और गुजरात मॉडल को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साध रहा है। कांग्रेस का कहना है कि एक अकेला शिक्षक कैसे पूरे स्कूल को संभाल सकता है?