Maharashtra Govt News: महाराष्ट्र की राजनीति में सबकुछ सही नहीं चल रहा है, कहने को एक स्थिर सरकार है, जनता का प्रचंड जनादेश मिला हुआ है, लेकिन फिर भी जितने फैसले लिए जा रहे हैं, उससे ज्यादा तो उन्हीं फैसलों पर यू टर्न देखने को मिल रहा है। ऐसा पहले नहीं था, लेकिन पिछले 6 महीनों की स्थिति बताती है कि सरकार ने 7 बड़े फैसलों पर यू टर्न मारा है। जानकार इसे रणनीति की कमी, बातचीत के आभाव से जोड़कर देख रहे हैं।
क्या सभी को साथ लेकर नहीं चल रही सरकार?
बड़ी बात यह है कि जिन 7 फैसलों पर विवाद हुआ, वहां भी 6 तो शिक्षा विभाग से जुड़े हुए थे जिसकी जिम्मेदारी वर्तमान में मंत्री दादा भूसे के पास है। यह एकनाथ शिंदे गुट के नेता हैं और डिप्टी सीएम के करीबी भी माने जाते हैं। इनके लिए गए कई फैसलों पर जमकर बवाल हुआ है, सरकार असहज हुई है और इसी वजह से उन्हीं फैसलों को वापस भी लेना पड़ा है। उदाहरण के लिए भूसे ने कहा था कि महाराष्ट्र के स्कूलों में सेंट्रलाइज्ड यूनिफॉर्म पॉलिसी लाई जाएगी, लेकिन माता-पिता ने ही इसका विरोध कर दिया, खराब क्वालिटी और यूनिफॉर्म की कमी को लेकर विवाद दिखा।
इसी तरह भूसे ने कहा था कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 10 फीसदी EWS कोटा दिया जाएगा। लेकिन वो भी जमीन पर लागू नहीं हो पाया और आखिर में सरकार को कदम पीछे खींचने पड़े। इसके अलावा एक मामले में सरकार ने कहा था कि माइनॉरिटी रन जूनियर कॉलेजों को सामाजिक आरक्षण लागू करना होगा, लेकिन वहां भी बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया गया और फैसले पर रोक लग गई।
वो फैसले जो हो गए वापस
अभी के लिए भूसे इसे कोई बड़ी चुनौती नहीं मानते हैं, उनके मुताबिक तो सरकार की तरफ से ये जो सारे यू टर्न लिए जा रहे हैं, असल में यह जनता के फीडबैक के आधार पर है। अब नेता कुछ भी बोलें, लेकिन जो डेटा सामने आया है, उससे पता चलता है कि सरकार ने कई मौकों पर अपने कदम पीछे खींचे हैं, किरकिरी का सामना भी करना पड़ा है।
फैसला | कब लिया | वापस कब लिया |
10 फीसदी EWS कोटा | 23 जुलाई, 2025 | 30 जुलाई, 2025 |
हिंदी होगी थर्ड भाषा | 16 अप्रैल, 2025 | 29 जून, 2025 |
माइनॉरिटी ट्रस्ट कॉलेज में आरक्षण | जून के पहले हफ्ते में | 23 जून, 2025 |
हॉल टिकट पर जाति | 11 जनवरी, 2025 | 18 जनवरी, 2025 |
मिड डे मील में मिठाई | 11 जून, 2024 | 28 जनवरी 2025 |
वन स्टेट वन यूनिफॉर्म | मई 2023 | 2 अप्रैल 2025 |
किताबों में ब्लैंक पेज | 8 मार्च 2023 | 28 जनवरी 2025 |
महाराष्ट्र के पूर्व डॉयरेक्टर ऑफ एजुकेशन वसंत कलपंडे इस बारे में एक बड़ी बात कहते हैं। उनके मुताबिक जब हर स्टेहोल्डर के बीच डायलॉग नहीं होता, तब ऐसी स्थिति बनती है। इसे टॉप डाउन अप्रोज भी कहा जा सकता है जहां पर फैसले ऊपर के लेवल लिए जाते हैं और फिर नीचे वाले अधिकारियों को उन्हें लागू करना होता है। लेकिन वसंत मानते हैं कि महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में यह तरीका सही नहीं है। वसंत यहां तक कहते हैं कि जब छात्र और टीचरों की जरूरतें अलग हैं, तब एक तरफ की योजना के साथ आगे नहीं बढ़ा जा सकता।
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मंत्री क्या तर्क दे रहे, किसकी गलती?
वैसे महाराष्ट्र में भूसे से पहले शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी केसरकर के पास थी, उनके कार्यकाल में भी ब्लैंक पेज, यूनिफॉर्म, मिड डे मील में स्वीट डिश जैसे फैसले लिए गए थे। अब खुद केसरकर उन सभी फैसलों को स्टूडेंट सेंट्रिक मानते हैं। वे यहां तक दावा करते हैं कि हर स्टेकहोल्डर से विस्तृत चर्चा के बाद इन्हें लागू किया गया था। जमीन पर इन्हें लागू करने पर कुछ चुनौतियां हो सकती हैं। लेकिन कुछ करेक्टिव मैजर्स के जरिए उन्हें सुलझाया जा सकता है।
अब इन यू टर्न्स को लेकर भूसे की अपनी थ्योरी है। वे मानते हैं कि अगर फैसलों में बदलाव किए जा रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं हो सकता कि वो योजनाएं ही गलत थीं या उनमें कमिया थां। सिर्फ फीडबैक के आधार पर बदलाव किए जा रहे हैं। अपने बचाव में भूसे कहते हैं कि मैं खुद ग्रामीण परिप्रेक्ष्य से आता हूं, लेकिन मुझे शहरी जरूरतों का भी ध्यान है। यह नजरिया ही मुझे एजुकेशन सिस्टम की अलग-अलग जरूरतों को समझने में मदद करता है। हमे समझना पड़ेगा कि सबकुछ हमेशा ही बिल्कुल ठीक नहीं हो सकता, पब्लिक पॉलिसी में हर समस्या के लिए एक समाधान नहीं हो सकता है।
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Pallavi Smart की रिपोर्ट