महाराष्ट्र के नांदेड़ की फैमिली कोर्ट में एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां अपने पति से रहने वाली एक महिला ने उसके बच्चे की मां बनने के लिए अदालत में याचिका दायर की है। महिला का अपने पति के साथ तलाक का केस भी चल रहा है। महिला का पहले भी एक बच्चा है।

अब वह अपने पति के दूसरे बच्चे की मां बनना चाहती है। उसने दांपत्य संबंध या आईवीएफ के जरिये मां बनने के संबंध में अदालत में याचिका दायर की है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार कोर्ट ने कोर्ट ने व्यक्तिगत स्वायत्तता पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों का हवाला देते हुए उसके ‘बच्चा पैदा करने के अधिकार’ का समर्थन किया है।

अदालत ने इस जोड़े को 24 जून को मैरिज काउंसलर के पास जाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही एक महीने के भीतर आईवीएफ काउंसलर से मीटिंग फिक्स करने को भी कहा है। पति ने पत्नी की याचिका को गैरकानूनी, भ्रम पैदा करने वाला और सामाजिक नियमों के खिलाफ बताया है।

नांदेड़ फैमिली कोर्ट की जज स्वाति चौहान ने कहा कि बच्चा पैदा करने में तकनीक की मदद (एआईटी) न तो किसी कानून और ना ही किसी लिखित या अलिखित सामाजिक नियमों का उल्लंघन है।प्रतिवादी भले ही असमहति जताते हुए एआरटी के लिए इनकार कर सकता है। लेकिन बिना किसी कारण के इनकार करने से वह खुद को कानूनी और तार्किक परिणामों का सामना करना पड़ेगा।

बच्चा पैदा करने के मुद्दे को सिर्फ कानून या कानूनी प्रक्रियाओं से नहीं निपटा जा सकता है… इसे क्लिनिकली निपटना होगा। मालूम हो कि पति और पत्नी दोनों प्रोफेशनल्स हैं। उनके एक बच्चा है। पति मुंबई का रहने वाला है। उसने कथित रूप से क्रूरता का हवाला देते हुए महिला से तलाक लेने की याचिका दाखिल की है।

वहीं महिला पति को तलाक नहीं देना चाहती है। दोनों की याचिकाएं अभी लंबित पड़ी हैं। महिला ने साल 2018 में नांदेड़ की फैमिली कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। महिला के वकील शिवराज पाटिल का कहना है कि महिला की उम्र 35 साल है और उसके मां बनने की उम्र खत्म होने में सीमित समय बचा है। वह चाहती है कि बुढ़ापे में साथ के लिए उसके पति से उसके दूसरा बच्चा भी हो। वहीं अदालत ने भी एआरटी में पति की सहमति को महत्वपूर्ण माना है।