दक्षिण कश्मीर में पुलिस हिरासत के दौरान 29 वर्षीय एक स्कूल प्रिंसिपल की मौत हो गई। उसकी पहचान रिजवान पंडित के रूप में हुई है। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने बिना किसी अपराध रिजवान को हिरासत में लिया था और जान से मार डाला। वहीं, पुलिस का कहना है कि प्रिंसिपल के संबंध आतंकी संगठन होने की जानकारी मिली थी। ऐसे में पूछताछ के लिए उसे हिरासत में लिया गया था।

यह है मामला : रिजवान के परिजनों ने बताया कि रविवार (17 मार्च) को अंवतीपोरा स्थित घर से रिजवान को हिरासत में लिया गया। इसके बाद मंगलवार (19 मार्च) सुबह परिजनों को बताया गया कि पुलिस हिरासत में उसकी मौत हो गई। उसी दिन मंगलवार (19 मार्च) देर शाम रिजवान का शव उसके परिजनों को सौंप दिया गया। पुलिस ने कहा कि मौत का कारण जानने के लिए जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

परिजनों को जांच पर विश्वास नहीं : द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, रिजवान के बड़े भाई मुबाशिर असद से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा, ‘हम किसी जांच में विश्वास नहीं करते हैं। हमें पता है कि इस तरह की जांच का क्या अंजाम होता है। हमारी केवल एक मांग है कि हमें बताया जाए कि रिजवान को किस अपराध के लिए हिरासत में लिया गया और मार दिया गया। हम हत्या के आरोपियों को फांसी के फंदे पर लटकते हुए देखना चाहते हैं।’ बता दें कि रिजवान ने कैमेस्ट्री से एमएससी और बाद में बीएड किया था। वह अंवतीपोरा के साबिर अब्दुल्ला पब्लिक स्कूल में प्रिंसिपल था। साथ ही, घर के पास कोचिंग सेंटर भी चलाता था।

राजनीतिक पार्टियों ने की कड़ी निंदाः नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस और बीजेपी की सहयोगी पार्टी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे ‘अस्वीकार्य ‘ करार दिया और ‘ हत्यारों ‘के लिए सख्त सजा की मांग की। नेशनल कांफ्रेस के नेता उमर अब्दुल्ला ने इस पूरे मामले पर ट्वीट करते हुए कहा कि हत्यारों को सख्त सजा दी जानी चाहिए।

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पुलिस ने दी सफाईः इस पूरे घटनाक्रम पर जम्मू- कश्मीर पुलिस ने कहा कि रिजवान को आतंकी संगठन से जुड़े होने के मामले में हिरासत में लिया गया था। पुलिस हिरासत में रिजवान की मौत की वजह से सीआरपीसी की धारा 176 में निर्धारित प्रक्रिया के तहत मैजिस्ट्रियल जांच चल रही है। इस मामले में जब डीआईजी अतुल गोयल से बात की गई तो उन्होंने खबर की पुष्टि की।

पहले भी एक बार हुई गिरफ्तारीः रिजवान को अगस्त 2018 में सार्वजनिक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, बाद में अदालत में बेगुनाही साबित होने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। इसी साल जनवरी में उसे रिहा किया गया था।

जमात-ए- इस्लामी से था ताल्लुकः रिजवान जमात-ए-इस्लामी से जुड़े एक परिवार से ताल्लुक रखता था। यह एक सामाजिक-धार्मिक संगठन है। पुलवामा में आतंकी हमले के बाद राज्य प्रशासन ने इस संगठन पर कार्रवाई की थी। वहीं, रिजवान के पिता असमतुल्लाह पंडित भी जमात के सदस्य हैं। वे सेवानिवृत्त केंद्रीय सरकारी कर्मचारी भी हैं।