हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों से छात्रों की दूरी देखने को मिल रहा है। प्रदेश में ऐसे 286 स्कूलों की पहचान की गई है जिसमें एक भी छात्र का नामांकन नहीं हुआ। वहीं करीब 3,000 स्कूल ऐसे हैं जो सिर्फ एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। इतनी ही नहीं 455 स्कूल प्रतिनियुक्ति के आधार पर चल रहे हैं। यह हाल तब है जब प्रदेश में शिक्षकों के 12,000 पद खाली पड़े हैं।
हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि जिन स्कूलों में किसी भी छात्र का नामांकन नहीं हुआ है, ऐसे प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों को अधिसूचित किया गया है। इन स्कूलों के शिक्षकों और अन्य स्टाफ को ऐसे स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा जहां स्टाफ की कमी है। हिमाचल प्रदेश में कुल 15,313 सरकारी स्कूल हैं। रोहित ठाकुर ने कहा कि कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। कुछ स्कूल सिर्फ एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। अब इन स्कूलों में स्टाफ की कमी को जल्द पूरा किया जाएगा।
सरकार ने बनाए नए नियम
रोहित ठाकुर ने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों के लिए एक प्रारूप तय किया है। इसके मुताबिक प्राथमिक स्कूलों के लिए कम से कम 10 छात्र, मिडिल के लिए 15, उच्च के लिए 20, वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के लिए 25 और कॉलेजों के लिए 65 छात्र होने आवश्यक हैं। इन मानकों को पूरा ना करने वाले स्कूलों और कॉलेजों को बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर जो नियम तय किए गए हैं यह उससे भी काफी कम है। ऐसा पहाड़ी क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए किया गया।
रोहित ठाकुर ने कहा कि शिक्षकों का अतार्किक तैनाती ने शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित किया है। इसका नतीजा है कि हिमाचल ग्रेडिंग सूचकांक में पांचवें स्थान से ग्यारहवें स्थान पर खिसक गया है। स्कूल यूनिफॉर्म को लेकर भी उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि छात्रों को ना सिर्फ खराब क्वालिटी की यूनिफॉर्म दी गई बल्कि इसे देने में भी काफी देरी की गई। अब सरकार ने यूनिफॉर्म के लिए सीधे छात्रों के खाते में पैसे ट्रांसफर करने का निर्णय लिया है।