लश्कर-ए-तैयबा का पाकिस्तानी-अमेरिकी सदस्य डेविड हेडली पहली बार सोमवार को मुंबई की एक अदालत के समक्ष वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए गवाही में स्‍वीकार किया कि पाकिस्तान आर्मी के मेजर साजिद मीर ने ही उसे भारत जाने और रेकी करने को कहा था। उसी ने हेडली से अपना नाम बदलने को कहा था। प्रॉसिक्यूटर उज्ज्वल निकम हेडली से हमले के बारे में जानकारी ले रहे है। एनआईए के अफसर भी कोर्ट में मौजूद हैं। अबु जुंदाल के वकील ने स्पेशल कोर्ट से हेडली की गवाही रोकने की मांग की। कोर्ट ने उसकी अपील खारिज कर दी है। डेविड ने पाकिस्तान पहुंचने और ट्रेनिंग के बारे में बताया। उसने बचपन, स्कूल और कॉलेज के बारे में जानकारी दी।

ये हैं हेडली के खुलासे

नया पासपोर्ट मिलने के बाद मैं 8 बार भारत आया था। इनमें 7 बार मुंबई गया था। पासपोर्ट बनाने में साजिद ने ही मदद की थी

साजिद ने मुझे मुंबई का सामान्य वीडियो बनाने को कहा था। और कई जगहों की रेकी कर जानकारी जुटाने को बोला था। मैं 7 बार भारत सीधा पाकिस्तान से आया था और और एक बार यूएई से।

नया पासपोर्ट मिलने के बाद मैं 8 बार भारत आया था। इनमें 7 बार मुंबई गया था। पासपोर्ट बनाने में साजिद ने ही मदद की थी

हेडली- साजिद चाहता था कि मैं भारत में बिजनेस खड़ा करूं।

मैंने अपना नाम बदला ताकि मैं भारत में एंट्री कर सकूं। मैं भारत में अमेरिकी नाम से प्रवेश करना चाहता था। 

मैंने नाम बदलने के कुछ हफ्ते बाद फिर से पाकिस्तान का दौरा किया था।

मैं लश्कर का अनुयायी था। भारत आने के पहले ही साजिद ने उसके मंसूबों के बारे में मुझे साफ कर दिया था।

आपको बता दें कि अदालत में फिलहाल मुख्य साजिशकर्ता सैयद जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जुंदाल पर मुकदमा चल रहा है।अदालत ने 10 दिसंबर, 2015 को हेडली को सरकारी गवाह बनाया था और उसे आठ फरवरी को अदालत के समक्ष गवाही देने का निर्देश दिया था। फिलहाल मुंबई हमलों में अपनी भूमिका को लेकर अमेरिका में 35 साल की कैद की सजा काट रहे हेडली ने विशेष न्यायाधीश जी ए सनप से कहा था कि अगर उसे माफ किया जाता है तो वह गवाही देने को तैयार है। न्यायाधीश सनप ने हेडली को कुछ शर्तों के आधार पर सरकारी गवाह बनाया था और उसे माफी दी थी।