मध्य प्रदेश में बच्चों के लापता होने के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। महज तीन साल में प्रदेश से करीब 23 हजार बच्चे लापता हो चुके हैं, जिनमें 90% लड़कियां हैं। वहीं, सबसे ज्यादा लिंगानुपात वाले 9 जिलों में 10 साल के दौरान 11 हजार बच्चे लापता हुए, जिनमें 7448 लड़कियां हैं। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, सीएम कमलनाथ के क्षेत्र छिंदवाड़ा में ऐसे मामले सबसे ज्यादा हैं। जानकारों के मुताबिक, गरीबी और पिछड़ेपन का फायदा उठाकर आदिवासी समुदाय की लड़कियों को शादी, घरेलू कार्य और देह व्यापार के लिए दूसरे जिलों या राज्यों में ले जाया जा रहा है। प्रदेश से हर साल लापता होने वाले बच्चों में 50% आदिवासी और पिछड़े समुदायों के हैं। 11 दिसंबर 2018 को गृह मंत्रालय की ओर से लोकसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, 2016 में देश में लापता हुए बच्चों में सबसे ज्यादा बच्चे मध्य प्रदेश के थे।
रोजाना 30 बच्चे हो जाते हैं लापता : आंकड़ों की मानें तो प्रदेश में रोजाना औसतन 30 बच्चे लापता हो जाते हैं, जिनमें 16 लड़कियां होती हैं। इनमें से 9 बच्चे कभी मिलते ही नहीं हैं। बच्चों के मुद्दों पर काम करने वाली संस्थाओं के मुताबिक, खरीद-फरोख्त का यह पूरा खेल गुमशुदगी की आड़ में चलता है।
प्रदेश से लापता हुए बच्चों में 85 प्रतिशत लड़कियां : दिल्ली स्थित इंडियन सोशल इंस्टिट्यूट के मुताबिक, मध्य प्रदेश से लापता हुए कुल बच्चों में 85% लड़कियां हैं। इनमें 90% लड़कियां आदिवासी और पिछ़ड़े समुदायों की हैं। 2014 में प्रदेश से 6,689 बच्चे लापता हुए, जिनमें चार हजार लड़कियां थीं। 2015 में लापता होने वाले बच्चों की संख्या 7,919 थी। इनमें 5,590 लड़कियां शामिल थीं। वहीं, 2016 के दौरान 8,503 बच्चे गुम हुए। इनमें 6037 लड़कियां थीं, जबकि 3,871 बच्चों का अब तक पता नहीं चला है। मध्य प्रदेश पुलिस ऐसे 786 मामलों का ही खुलासा कर पाई है।
3 साल में इतना बढ़ा आंकड़ा
साल | कुल बच्चे | लड़कियां | लड़के |
2014 | 6689 | 4000 | 2689 |
2015 | 7919 | 5590 | 2329 |
2016 | 8503 | 6037 | 2466 |
पड़ोसी जिलों और राज्यों में ले जाई जा रहीं लड़कियां : बालाघाट से एक साल पहले लापता हुई लड़की राजस्थान के चुरू जिले में ऐसे समुदाय में मिली, जिसका लिंगानुपात काफी कम है। वहीं, डिंडोरी से लापता लड़की छतरपुर के एक गांव से उस वक्त मिली, जब उसकी शादी कम लिंगानुपात वाले समुदाय के 35 वर्षीय युवक से कराई जा रही थी। इसी तरह मंडला, डिंडोरी से लापता करीब 10 लड़कियां भिंड, मुरैना, शिवपुरी से बरामद हुईं। इन सभी की शादी भी कम लिंगानुपात वाले समुदाय में हो गई थी।
2009 से 2016 तक 10 जिलों से इतने बच्चे हुए लापता
जिला | लड़के | लड़कियां | कुल बच्चे | लिंगानुपात |
छिंदवाड़ा | 908 | 1656 | 2564 | 966 |
बालाघाट | 480 | 1138 | 1618 | 1021 |
बैतूल | 484 | 1020 | 1504 | 970 |
कटनी | 521 | 845 | 1366 | 948 |
सिवनी | 494 | 810 | 1304 | 984 |
मंडला | 346 | 729 | 1075 | 1005 |
झाबुआ | 175 | 646 | 821 | 989 |
डिंडोरी | 108 | 423 | 521 | 1004 |
आलीराजपुर | 69 | 181 | 250 | 1009 |
प्रदेश में | 3585 | 7448 | 11023 | 930 |
परिजनों की सहमति से होते हैं ज्यादातर मामले : आलीराजपुर की एएसपी सीमा अलावा का कहना है कि आलीराजपुर-झाबुआ जिलों में आदिवासी लड़कियों के लापता होने के मामले आ रहे हैं। इनमें कई लड़कियों को शादी के लिए दूसरे जिलों में ले जाया जा रहा है। वहीं, कुछ लड़कियां काम के लिए भी बाहर ले जाई जा रही हैं। ऐसे में मामलों में कार्रवाई करना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि ज्यादातर केस में परिजनों की सहमति होती है। वे पुलिस से शिकायत ही नहीं करते।