केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को संसद में कहा कि अगर चुनाव आयोग लोकसभा के साथ जम्मू-कश्मीर में चुनाव करना चाहता है तो केंद्र सरकार को इस पर कोई आपत्ति नहीं है। बता दें कि करीब डेढ़ महीने पहले राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग कर दी थी। वहीं, 15 दिन पहले राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। राजनाथ ने कहा कि चुनाव आयोग जब भी इलेक्शन कराएगा, केंद्र सरकार सुरक्षा बल मुहैया करा देगा।
नेता प्रतिपक्ष और वित्त मंत्री की बहस के बाद बोले राजनाथ : बता दें कि जम्मू-कश्मीर में 19 दिसंबर को राष्ट्रपति शासन लागू करने के प्रस्ताव को लेकर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और वित्त मंत्री अरुण जेटली के बीच बहस हुई थी, जिसके जवाब में गृहमंत्री ने यह बात कही। बहस के दौरान दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर राज्य के लोगों को अलग-थलग करने का आरोप लगाया था।
चुनाव करना इलेक्शन कमीशन का काम : विपक्षी दलों ने राज्यपाल द्वारा 21 नवंबर को विधानसभा भंग करने की कार्रवाई पर रोक लगाने की बात कही। साथ ही, केंद्र सरकार से पूछा कि वह राज्य में कब चुनाव कराने पर विचार कर रही है। राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘चुनाव कराना इलेक्शन कमीशन का काम है, लेकिन मैं संसद को आश्वस्त करता हूं कि हम चुनाव को रोकने की कोशिश नहीं करेंगे। जब भी इलेक्शन कमीशन को जरूरत होगी तो हम सुरक्षा बल भी मुहैया कराएंगे।’’
इस वजह से शुरू हुई बहस : इस दौरान आजाद ने पूछा कि क्या सरकार जम्मू-कश्मीर में लोकसभा के साथ चुनाव करना चाहती है? इस पर राजनाथ ने कहा, ‘‘यदि इलेक्शन कमीशन चाहता है तो हमारी सरकार को कोई आपत्ति नहीं होगी।’’ इसके बाद जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाने के प्रस्ताव को राज्यसभा में ध्वनिमत से पास कर दिया गया। सदन में बहस तब शुरू हुई, जब आजाद ने बीजेपी और केंद्र सरकार पर जम्मू-कश्मीर के लोगों को पिछले साढ़े 4 साल में अलग-थलग करने का आरोप लगाया। इसके बाद वित्त मंत्री जेटली और राजनाथ ने आजाद से 1947 का इतिहास याद करने के लिए कहा।