केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सीआरपीएफ, इम्फाल पुलिस और असम राइफल्स के जवानों के खिलाफ 5 एफआईआर दर्ज की हैं। एफआईआर मणिपुर में कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में जानबूझकर हत्या के मामले दर्ज की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पहले सीबीआई को हत्याओं की जांच करने का आदेश दिया था। आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने मणिपुर के कुछ पुलिसकर्मियों द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें पीठ में शामिल न्यायाधीशों से मणिपुर फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई से अलग हो जाने का अनुरोध किया गया था। इन फर्जी मुठभेड़ मामलों की जांच सीबीआई का विशेष जांच दल (एसआईटी) कर रहा था। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने कहा था कि एसआईटी और इन मामलों में उसके द्वारा की जा रही जांच पर इन पुलिसकर्मियों के संदेह करने का कोई कारण नहीं है।

पीठ ने यह भी कहा था कि न्यायपालिका और सीबीआई की सांस्थानिक पवित्रता को अवश्य कायम रखा जाना चाहिये। शीर्ष अदालत का आदेश मणिपुर के कुछ पुलिसकर्मियों की याचिका पर आया था, जिन्होंने मांग की थी कि पीठ में शामिल न्यायाधीश मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लें। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि पीठ ने कुछ आरोपियों को पहले अपनी टिप्पणी में ‘हत्यारा’ बताया था। इन आरोपियों के खिलाफ मुठभेड़ मामलों में एसआईटी ने आरोप पत्र दायर किया था।

क्या है मामला: सुप्रीम कोर्ट मणिपुर में अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं के 1,528 मामलों की जांच के लिए पिछले साल 14 जुलाई को एक एसआईटी गठित की थी और एफआईआर दर्ज कराने और कथित अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं के मामलों की जांच का आदेश दिया था। मणिपुर में साल 2000 से 2012 के बीच सुरक्षाबलों और पुलिस पर कथित रूप से 1528 फर्जी मुठभेड़ और अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं का आरोप है।