अजीब उलटबांसी हो रही है अब राजस्थान में। भाजपा के नेताओं को हैरानी होने लगी है कि आम जनता ही नहीं पार्टी के कार्यकर्ता तक तेवर दिखा रहे हैं उन्हें। पिछले दिनों हुए उपचुनाव की करारी हार ने भाजपा आलाकमान की चिंता भी बढ़ा दी। चौकन्ना आलाकमान अब सूबे के पार्टी नेताओं के किसी फार्मूले को आंख मूंद कर मंजूर नहीं कर रहा। अलबत्ता आलाकमान के दबाव में तमाम मंत्री और मुख्यमंत्री भी सूबे का दौरा कर रहे हैं। बहाना तो सरकार की उपलब्धियों के प्रचार का है पर असली मकसद जनता के मूड को भांपना ठहरा। मूड तो उखड़ा हुआ है। खूब खरी-खोटी सुनने को मिल रही है। हर कोई नाराज लगता है। मुख्यमंत्री ने खुद चार दिन सीकर में लगाए। वहां पार्टी के पदाधिकारियों से सूबे की सरकार के अच्छे कामों की बाबत पूछा तो सब बगलें झांकने लगे।
आम आदमी तो दूर पार्टी कार्यकर्ता तक मुख्यमंत्री से मन की बात नहीं कह पाया। हर जगह पार्टी के कार्यकर्ता रोना रो रहे हैं कि जब कुछ ठोस काम हुआ ही नहीं तो लोगों से वोट किस अधिकार से मांगेंगे। उपचुनाव में कई बूथों पर तो पार्टी का खाता तक नहीं खुला। राजस्थान में अब बूथ समितियां भी लोगों का सामना करने से कतरा रही हैं। भाजपा के समर्थक ही इन समितियों के पन्ना प्रमुखों को आईना दिखा रहे हैं। ऊपर से हर आदमी भ्रष्टाचार से अलग त्रस्त है। गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया जब अपने क्षेत्र उदयपुर में लोगों से रूबरू हुए तो उन्हें खूब खरी खोटी सुननी पड़ी।
इतनी कि वे आपा खो बैठे। गुस्से में भड़क गए और कह दिया-मत देना अपना वोट। उसे कुएं में डाल देना। लेकिन लोगों की नाराजगी का शिकार उन्हें सभी जगह होना पड़ा। अलबत्ता बाद में तो उन्हें नारों का भी सामना करना पड़ा। लोगों ने नारा लगाया-वोट किसे देना है, कुएं को देना है। यह हाल लोगों की नजर में पहले नंबर की हैसियत वाले मंत्री का हो तो बाकी की औकात ही क्या है। हर मंत्री को घेरकर जगह-जगह ताने मार रहे हैं लोग। सरकार का कार्यकाल अब छह महीने ही तो रह गया है। नेताओं को सबक सिखाने का मौका तो अभी मिलेगा लोगों को। सो कांग्रेसी बम बम हैं कि बिल्ली के भाग्य से छींका फूटेगा और मलाई उन्हें मिलेगी। तभी तो भाजपा से ज्यादा विधानसभा टिकट के दावेदार कांग्रेस के दफ्तर पर जुट रहे हैं।