नीतीश कुमार की हालत सांप छछूंदर जैसी हो गई है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को छोड़ नहीं पा रहे हैं और न ही उसे लेकर भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार के सामने अड़ पा रहे हैं। अब तो हालत यह है कि जब कोई अपने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठाता है तो वे उसका समर्थन करते हैं और आहिस्ते से अपनी मांग को भी रखते हैं। नीतीश कुमार ने मनमोहन सिंह की सरकार के समय इस मांग को लेकर काफी दबाव बनाया था। केंद्र सरकार को मांग की गंभीरता को जांचने-परखने के लिए एक कमेटी भी बनाई थी। लेकिन कोई सार्थक नतीजा नहीं निकला। अपने सूबे में जब लालू प्रसाद के साथ मिल कर सरकार बनाई तो उस समय भी इस मांग को लेकर दहाड़े। लेकिन फिर भाजपा के साथ मिल कर सरकार बनाने के बाद मंद पड़ते नजर आ रहे हैं। बिहार दिवस के मौके पर इस मांग को उठाने की सुध नहीं रही। राजनीतिक गलियारे में तो यह शंका जताई जा रही है कि लोकसभा चुनाव में यह मांग मुद्दा बने ही नहीं। वैसे भी यह मांग केवल नीतीश बाबू और उनकी पार्टी की ही है। भाजपा अलग-थलग ही रही है।