भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड में भाजपा के कद्दावर नेता माने जाते हैं। सूबे के मुख्यमंत्री तो रहे ही इस समय भी नैनीताल से लोकसभा के सदस्य हैं। खांटी संघी कोश्यारी राजपूत ठहरे। चर्चा गरम है कि उन्होंने आलाकमान से दो टूक कह दिया है कि वे अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते। वैसे भी भुवनचंद्र खंडूड़ी की तरह कोश्यारी की सेहत भी अब उतनी दुरुस्त कहां बची है। उम्र का तकाजा भी है ही। यानी पौड़ी के बाद पार्टी को अब नैनीताल में भी नए चेहरे की तलाश करनी होगी। सूबे में लोकसभा की कुल पांच सीटें हैं। पिछली दफा लहर में पांचों ही पार्टी की झोली में आई थी। पौड़ी सीट पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल की नजर है। नैनीताल में पार्टी के मौजूदा सूबेदार अजय भट्ट उम्मीदवार हो सकते हैं। हालांकि खंडूड़ी की इच्छा यही है कि उनकी सीट पर पार्टी उनकी बेटी ऋतु को टिकट दे। दावेदारों में यहां तीरथ सिंह रावत और कर्नल कोठियाल भी हैं।
तीरथ सिंह रावत को फिलहाल पार्टी आलाकमान ने हिमाचल का प्रभारी बना कर व्यस्त कर दिया है। इच्छुक तो पौड़ी से सतपाल महाराज भी कम नहीं हैं। जहां तक टिहरी का सवाल है, यहां विजय बहुगुणा अपने बेटे साकेत को फिर उम्मीदवार बनवाना चाहते हैं। जो एक बार कांग्रेस उम्मीदवार की हैसियत से उपचुनाव में हार चुके हैं। इस समय टिहरी की नुमाइंदगी रानी राजलक्ष्मी कर रही हैं। उधर, नैनीताल में कोश्यारी हटेंगे तो अजय भट्ट के साथ-साथ बच्ची सिंह रावत और बिशन सिंह चुफाल भी कतार में हैं। बच्ची सिंह का कोश्यारी से छत्तीस का आंकड़ा है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है, हरीश रावत ने अभी अपने पत्ते तो नहीं खोले हैं पर नजर उनकी हरिद्वार के साथ-साथ नैनीताल सीट पर भी टिकी है। करीबियों ने इस बार उन्हें परिवार मोह में नहीं फंस कर खुद ही लड़ने का सुझाव दिया है। पाठकों को बता दें कि हरिद्वार में पिछली दफा हरीश रावत की पत्नी भाजपा के रमेश पोखरियाल से हारी थीं।
(प्रस्तुति : अनिल बंसल)