मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस का अजब हाल है। कमलनाथ को मुख्यमंत्री का पद संभाले साल भर हो गया है पर पार्टी की सूबेदारी अब तक नहीं छोड़ी। फैसला सोनिया गांधी को करना है। दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ में पटरी कतई नहीं बैठ रही। सिंधिया परोक्ष रूप से धमकी दे चुके हैं कि उन्हें सूबेदार नहीं बनाया गया तो वे पार्टी छोड़ सकते हैं। उधर, दिग्विजय के भाई लक्ष्मण सिंह अलग अपने बयानों से बखेड़ा खड़ा करते रहते हैं। सिंधिया ने भी अपनी ही सरकार पर व्यंग्य-बाण की बारिश की है।

मसलन, पहले दो लाख तक के किसानों के कर्ज माफ नहीं होने का मुद्दा उठाया था तो उसके बाद तबादलों को लेकर सवाल उठाए। रही लक्ष्मण सिंह की बात तो चाचौड़ा को जिला बनाने की मांग को लेकर वे अपने भाई के घर के बाहर ही धरने पर बैठ गए। उनके एक ट्विट की भी पिछले दिनों खूब चर्चा हुई। महाराष्ट्र में शिवसेना का साथ देने पर उन्होंने तंज कस दिया- महाराष्ट्र का राजनीतिक घटनाक्रम, हर घड़ी बदल रहा है रूप, राजनीति छांव है कभी, कभी है धूप। हर पल यहां खूब खाओ, जो है समां कल हो न हो।

इतनी उठा-पटक पर भी पार्टी की नेता शोभा ओझा बोलीं कि कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है, सभी को अपनी बात कहने को अधिकार है। पर हकीकत से कौन मुंह मोड़ सकता है। पूर्ण बहुमत की सरकार तो है नहीं। कमजोरी में तो अपने असंतुष्ट भी फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। पार्टी सख्ती करे भी तो कैसे, उससे तो नुकसान का भी खतरा बढ़ता है।
(प्रस्तुति : अनिल बंसल)