जमीन पर अरमान
पंजाब में विधानसभा चुनाव को तकरीबन आधा साल ही बचा है। लग रहा है कि हर बार की तरह इस बार का चुनाव भी पंथ की रक्षा के नाम पर ही होगा। एक महीना पहले किसान आंदोलन के उड़नखटोले पर जीत का सेहरा फिर से बांधने का सपना देख रही कांग्रेस भी अब कुछ धरा पर आ गई है। बरगाड़ी कांड जो पिछले चुनाव में अकाली-भाजपा सरकार की जीत की राह में अटक गया था, अब फिर से मुद्दा बन गया है। इन पांच साल में बेशक यह मसला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। पर ऐन चुनाव के मौके पर इस मसले के लिए गठित विशेष जांच टीम (एसआइटी) को हाई कोर्ट द्वारा खारिज कर नई एसआइटी के आदेश देने के बाद इसके प्रमुख और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के प्रिय आइपीएस कुंवर विजय प्रताप के आम आदमी पार्टी में शामिल होने के साथ ही सारा जमा-घटाव बदल गया।
पिछले चुनाव में बरगाड़ी कांड और इसे लेकर हुए गोलीकांड में मारे गए दो लोगों को इंसाफ और उस बहाने पंथ की सेवा का नारा दे कैप्टन ने जीत हासिल की थी। उसके बाद चार साल तक अलसाई सी सरकार चलाने के बाद किसान आंदोलन ने उन्हें संजीवनी दे दी थी। पर पिछले एक महीने में बरगाड़ी कांड ने फिर से सिर उठा लिया है। पहले इस मुद्दे को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू और पार्टी के कई सहयोगियों ने कैप्टन के खिलाफ आवाज बुलंद की।
कुछ दिन पहले ही अरविंद केजरीवाल ने अमृतसर से बरगाड़ी के पीड़ितों को न्याय दिलाने की बात कहते हुए इसकी खारिज हुई एसआइटी के प्रमुख कुंवर विजय प्रताप सिंह से इस्तीफा दिलवा उसे पार्टी में शामिल करवा लिया। कहा जा रहा है कि पंजाब में ‘आप’ के सत्ता में आने पर उन्हें अच्छा ईनाम दिया जाएगा। कहा तो यह भी जा रहा है कि पंजाब की अफसरशाही में अभी भी शिअद के कर्ताधर्ताओं की खूब चलती है। तो कहीं न कहीं एसआइटी को खारिज करवा कर कैप्टन की किरकिरी करवाने के पीछे उनका हाथ भी हो सकता है। शिअद इसका फायदा उठाने की फिराक में लगती है। एसआइटी खारिज होने से उस पर लगे आरोप जो अब धुल गए हैं।
आरोपों की तस्वीर
हरिद्वार कुंभ मेले में कोरोना जांच घोटाले में फर्जीवाड़ा की आरोपी कंपनी का मालिक और मैक्स कारपोरेट सविर्सेज कुंभ मेला कंपनी के मालिक के भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों के साथ संबंधों के खुलासे से राज्य की राजनीति में तूफान आ गया है। जैसे ही कंपनी के मालिक शरद पंत के भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं, केंद्रीय मंत्रियों और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के साथ फोटो वायरल हुई, वैसे ही कांग्रेस को बैठे-बिठाए एक बड़ा मुद्दा मिल गया है। कांग्रेस के नेताओं ने इस फर्जीवाड़े में भाजपाइयों की मिलीभगत होने का आरोप लगाया है।
इस फर्जीवाड़े की जांच बिठाते समय मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने दावा किया था कि यह मामला उनके कार्यकाल का नहीं है, उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के समय का है। लेकिन शरद पंत की मुख्यमंत्री और भाजपा के कई नेताओं के साथ फोटो सामने आते ही राज्य सरकार बचाव की मुद्रा में आ गई और साथ ही राज्य सरकार के शासकीय प्रवक्ता कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल को यह कहने पर विवश होना पड़ा कि यह घोटाला कुंभ अवधि के समय का नहीं है। कुंभ की अधिसूचना होने से पहले का यह मामला है। शासकीय प्रवक्ता के इस बयान के साथ इस मामले ने नया मोड़ ले लिया।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि जिस तरह से तस्वीरें सामने आ रही हैं, उससे शरद पंत के भाजपा नेताओं के साथ संबंध स्थापित होते हैं। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि शरद पंत भुवन जोशी के भांजे हैं जो केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री के पीए हैं और उन्हीं के रसूख और संबंधों के कारण शरद पंत को यह ठेका दिलवाया गया था। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह का खेमा इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और पूर्व शहरी विकास मंत्री व मौजूदा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक की घेरेबंदी में लगा है।
हिमाचल में भिड़ंत
हिमाचल में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के कुल्लू दौरे के दौरान एसपी कुल्लू गौरव सिंह ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सुरक्षा प्रभारी एएसपी ब्रजेश सूद को थप्पड़ मारकर हिमाचल पुलिस को देश भर में सुर्खियों में ला दिया। इन खाकी वालों की भिड़ंत तो बीच सड़क पर हुई। लेकिन इससे दो दिन पहले एक जुबानी भिड़ंत जयराम के मंत्रिमंडल की बैठक में भी हो गई। जयराम ठाकुर मंत्रिमंडल में बेहद ताकतवर मंत्री हैं महेंद्र सिंह ठाकुर। मंत्रिमंडल की बैठक चल रही थी। इस दिन मुख्य सचिव अनिल खाची का जन्मदिन भी था। केक काट कर पूरे मंत्रिमंडल ने उनका जन्मदिन मनाया।
कुछ देर बाद कोई मुद्दा चर्चा के लिए आया तो महेंद्र सिंह मुख्य सचिव अनिल खाची पर आग बबूला हो गए। खाची भी खांटी नौकरशाह हैं। मामला करोड़ों की निविदाओं का था। इस पर महेंद्र सिंह व खाची में बहस हो गई। इस भिड़ंत को देख बाकी मंत्रिमंडल अवाक रह गया। कई अधिकारी कह रहे कि अधिकारियों व नेताओं की यह गर्मागर्मी कहीं ठाकुर सरकार की परेशानी का सबब न बन जाए। इसलिए सत्ता केंद्र में शांति के लिए ध्यान-साधना का इंतजाम तो होना ही चाहिए। (संकलन : मृणाल वल्लरी)