सेहत को लेकर खासे चौकस रहते हैं नीतीश कुमार। अपनी तरफ से जरूरी संयम बरतने में कोई कोर-कसर नहीं रखते। लेकिन अपने चाहने से ही तो सब नहीं होता। सियासत के चलते तनाव भी अपना असर डालता ही है। सो, अक्सर तबीयत ढीली हो जाती है। ऊपर से विरोधी अलग परेशान करते हैं। पिछले दिनों अस्वस्थ हुए तो राजद नेता तेजस्वी यादव ने अजीबो-गरीब मांग कर डाली। बाकायदा बयान जारी कर दिया कि मुख्यमंत्री का इलाज कर रहे डाक्टर रोजाना उनके स्वास्थ्य से संबंधित बुलेटिन जारी करें। मुंहबोले भतीजे के इस बयान ने दवा जैसा असर दिखाया।

नीतीश का आवास से निकलने और विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत करने का सिलसिला फिर शुरू हो गया। जताना जरूरी लगा होगा कि वे इतने अस्वस्थ भी नहीं हैं कि बुलेटिन की नौबत आए। बिना कुछ कहे एक और संदेश दे दिया कि बुलेटिन उनका निकालना चाहिए जो वाकई गंभीर रूप से बीमार हैं। इशारा लालू यादव की तरफ माना जाएगा। तेजस्वी को अपने जवाब से अपना संदेश भी पहुंचा दिया। दरअसल लालू यादव का लंबा इलाज चल रहा है। इलाज के लिए पैरोल भी मिला था। लेकिन अदालती आदेश पर फिर जेल लौटना पड़ा।

आमतौर पर होता यह है कि जब कोई नेता बीमार होता है तो दूसरे नेता उसके प्रति सहानुभूति ही जताते हैं और जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं। परंपरा यह अच्छी है। शायद परंपरा के निर्वाह के लिए ही लालू के बीमार होने पर नीतीश उनका हालचाल पूछते हैं। बेशक खुद मिल कर चाहे न पूछें पर टेलीफोन से पूछते जरूर हैं। लेकिन भतीजे को कैसे यकीन हो कि हर कवायद के पीछे सियासत ही मकसद नहीं होता। रिश्ते भी निभाने पड़ते हैं। लगता है कि भतीजे को अभी तक रिश्तों के निर्वाह की परिपक्वता का ज्ञान नहीं।