वैश्विक स्तर पर लोगों को जोड़ने वाली इंटरनेट की दुनिया में भारतीय महिलाएं काफी पीछे हैं। डिजिटल इंडिया के दौर में हर मुट्ठी में स्मार्टफोन और सस्ते डेटा की उपलब्धता के बावजूद आधी आबादी की पहुंच इंटरनेट तक नहीं है। यह विचारणीय पहलू है कि जागरुकता, जुड़ाव, विचार-विमर्श और पल-पल की सूचनाओं से जोड़ने वाले साइबर संसार में भारत की महिलाएं आखिर क्यों पूरी तरह से मौजूदगी दर्ज नहीं करवा पाई हैं।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 2019-20 में किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 की रिपोर्ट बताती है कि भारत में इंटरनेट इस्तेमाल करने के मामले में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या काफी कम है। देश के सत्रह राज्यों और पांच केंद्रशासित प्रदेशों में इंटरनेट के इस्तेमाल को लेकर हुआ सर्वेक्षण बताता है कि दस राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों में औसतन हर दस में से छह महिलाओं ने अपने जीवन में इंटरनेट का इस्तेमाल कभी नहीं किया।

इंटरनेट की दुनिया में मौजूदगी से जुड़ी ऐसी विसंगति भरी स्थिति बिहार से लेकर महाराष्ट्र और गुजरात जैसे प्रांतों तक में देखने को मिल रही है। महाराष्ट्र में औसतन हर दस में से लगभग चार महिलाओं और गुजरात में औसतन हर दस में से तीन महिलाओं ने इंटरनेट का इस्तेमाल कभी नहीं किया। बिहार में तो हालात हैरान करने वाले हैं, जहां दस में से आठ महिलाएं डिजिटल दुनिया से दूर हैं। खासतौर से ग्रामीण महिलाएं इंटरनेट इस्तेमाल करने में काफी पीछे हैं।

इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आॅफ इंडिया (आइएमएआइ) की बीते साल की रिपोर्ट ‘इंडिया इंटरनेट 2019’ बताती है कि भारत में इंटरनेट उपयोग की बढ़ती रफ्तार के बावजूद इंटरनेट उपयोग के मामले में लैंगिक स्तर पर काफी असमानता है। इस रिपोर्ट में सामने आया था कि देश में जहां 25.8 करोड़ पुरुष इंटरनेट का प्रयोग करते हैं, वहीं महिलाओं की संख्या इसके मुकाबले आधी है।

भारत में सड़सठ फीसद पुरुषों के मुकाबले केवल तैंतीस फीसद महिलाएं ही इंटरनेट उपयोग करती हैं। शहरी क्षेत्रों में बासठ प्रतिशत पुरुषों की तुलना में अड़तीस प्रतिशत महिलाएं और ग्रामीण क्षेत्रों में बहत्तर फीसद पुरुषों की तुलना में महज अट्ठाईस प्रतिशत महिलाएं इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं।

ऐसे में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 की रिपोर्ट के ताजा आंकड़े भी इंटरनेट प्रयोग में महिलाओं की कम भागीदारी की पुष्टि करते हैं। सर्वेक्षण में शामिल प्रदेशों और केंद्रशासित प्रदेशों की फेहरिस्त में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मेघालय, तेलंगाना, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, दादरा एवं नागर हवेली, दमन एवं दीव और अंडमान निकोबार द्वीप समूह ऐसे राज्य हैं जिनमें चालीस प्रतिशत से कम महिलाओं ने इंटरनेट का इस्तेमाल किया है।

बीते कुछ बरसों में दुनिया के हर कोने में इंटरनेट उपयोक्ताओं की संख्या बढ़ी है। भारत में भी महानगरों से लेकर गांवों-कस्बों तक वर्चुअल दुनिया ने पहंच बनाई है। हर उम्र, हर तबके के लोग साइबर संसार से जुड़ रहे हैं। एक मोटे अनुमान के मुताबिक देश में करीब चौहत्तर करोड़ लोग इंटरनेट का प्रयोग करते हैं।

भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जिनमें इंटरनेट उपयोक्ताओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इंटरनेट उपयोग करने के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है। पहला स्थान चीन का है। बावजूद इसके भारत के इंटरनेट उपयोक्ताओं में महिलाओं का आंकड़ा काफी कम है। देश के बारह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में साठ प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने इंटरनेट का कभी इस्तेमाल नहीं किया।

डिजिटल दुनिया में भारतीय महिलाओं की इतनी कम मौजूदगी कई तरह के विचारणीय प्रश्नों को जन्म देती है। हाल के वर्षों में महिलाओं में साक्षरता ही नहीं, उच्च शिक्षा का आंकड़ा भी बढ़ा है। देश में महिलाओं की औसत साक्षरता दर सत्तासी फीसद है।

ऐसे में इंटरनेट के प्रयोग से जुड़ी यह संख्या महिलाओं की शैक्षिक स्थिति को भी सामने रखती है। सर्वेक्षण के अनुसार जिन राज्यों में महिलाएं इंटरनेट का प्रयोग कम करती हैं, वहां पर महिला साक्षरता दर भी कम है। इसका सीधा-सा अर्थ यह है कि शिक्षा और इंटरनेट के इस्तेमाल के बीच भी सीधा संबंध है।

बिहार में महिलाओं की औसत साक्षरता दर केवल सत्तावन फीसद फीसद है और इंटरनेट इस्तेमाल करने में यहां की महिलाएं अन्य राज्यों की तुलना में काफी पीछे हैं। सर्वेक्षण में बताया गया है कि जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चालीस फीसद से कम महिलाओं ने इंटरनेट का इस्तेमाल किया है, उनमें बिहार 20.6 फीसद के साथ आखिरी पायदान पर है, जबकि अड़तीस फीसद उपयोग के साथ महाराष्ट्र पहले स्थान पर है।

महिलाओं और पुरुषों के बीच मौजूद इस अंतर के पीछे कई सामाजिक-पारिवारिक कारण भी हैं, जिनके चलते इंटरनेट की दुनिया तक महिलाओं की पहुंच कम है। भारत में घर-बाहर दोनों मोर्चों पर जद्दोजहद में जुटी महिलाओं की प्राथमिकताएं पुरुषों से काफी अलग हैं। ग्रामीण महिलाओं में डिजिटल साक्षरता की कमी और शहरी महिलाओं का साइबर उत्पीड़न, उन्हें इस दुनिया से दूर करता है।

इंटरनेट की दुनिया में होने वाला अभद्र व्यवहार और सुरक्षा से जुड़े कारण भी महिला उपयोक्ताओं के लिए बड़ी समस्या हैं। देश के कई हिस्सों में घंटों पैदल चल कर पीने का पानी जुटाने या खेती-किसानी से लेकर घरेलू जिम्मेदारियों तक को संभालने वाली कड़ी मेहनत वाली जीवनशैली महिलाओं को इंटरनेट से जुड़ने का मौका ही नहीं देती।

इतना ही नहीं, भारत में बड़ी संख्या में महिलाएं अशिक्षित हैं और आर्थिक रूप से परिवारजनों पर निर्भर भी हैं। कई घरों में महिलाएं इंटरनेट का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं। कई गांवों-कस्बों में तो बेटियों को स्मार्टफोन इस्तेमाल नहीं करने देने के पंचायती फरमान तक जारी किए गए।

मौजूदा दौर में इंटरनेट से दूरी कई मायनों में जागरूकता और सजगता से जुड़ी सूचनाओं से दूर होने जैसा है। यही वजह है कि देश की आधी आबादी को पूरी तरह इंटरनेट का इस्तेमाल करने की सुविधा और मौका मिले बिना उनके कई मोर्चों पर पीछे छूटने की परिस्थितियां बनी हुई हैं।

कहना गलत नहीं होगा कि सूचनाओं और सजगता के इस दौर में इंटरनेट एक साथी की तरह है, जो लोगों को दुनिया से जोड़े रखता है। खबरों की पहुंच और खैरियत लेने-देने का सक्रिय जरिया बनता है।

सूचनाओं तक लोगों की पहुंच बढ़ाता है। ‘इंडिया इंटरनेट 2019’ के मुताबिक पिछले साल देश में 45.10 करोड़ मासिक सक्रिय इंटरनेट उपयोक्ता थे। देश के सक्रिय इंटरनेट उपयोक्ताओं की संख्या पर इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आॅफ इंडिया की रिपोर्ट में भी खुलासा हुआ था कि पुरुषों के मुकाबले इंटरनेट इस्तेमाल में महिलाएं काफी पीछे हैं।

यही वजह है कि ग्रामीण भारत में डिजिटल दुनिया में लैंगिक असंतुलन को दूर करने के लिए ह्यइंटरनेट साथीह्ण प्रोग्राम के तहत इंटरनेट इस्तेमाल के लिए महिलाओं को शिक्षित करने की शुरूआत की गई थी। डिजिटल रूप से साक्षर महिलाएं अपने समुदाय और आसपास के गांवों की अन्य महिलाओं को प्रशिक्षित करती हैं।

आज जरूरत इस बात की है कि देश के हर हिस्से, हर तबके में इस माध्यम की अहमियत के प्रति जागरुकता लाने के प्रयास तेज किए जाएँ। आज में दौर में अपनी बात कहने और जानकारियां हासिल करने के लिए महिलाओं का इंटरनेट से जुड़ना आवश्यक है।

महिलाओं और बेटियों को शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरी योजनाओं और संस्थानों की जानकारियां डिजिटल माध्यमों के जरिये हासिल करने में आसानी होती है। यह संपर्क और सूचनाओं का सहज और त्वरित माध्यम है। यही वजह है कि इस डिजिटल दुनिया में महिलाओं का पीछे रहना चिंतनीय है।