ऑनलाइन खुदरा कारोबारियों द्वारा अखबार, टीवी, रेडियो, होर्डिंग के जरिए ग्राहकों को लुभाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे विज्ञापनों की अनदेखी करना मध्यवर्ग के लिए आसान नहीं होता है और इनमें से अनेक लोग बिना जरूरत के इन विज्ञापनों से प्रभावित होकर खरीदारी कर लेते हैं। लिहाजा, आजकल ज्यादातर ऑनलाइन खुदरा कारोबारी आकर्षक छूट की पेशकश की झड़ी लगा देते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी कारोबार के इस नए चलन का विस्तार हो रहा है।

अभी प्रॉपर्टी के खरीदने और बेचने का सीजन है और इसमें दोनों पक्षों को आकर्षक कमाई की उम्मीद रहती है। इसलिए कई लोग इस सीजन में प्रॉपर्टी की खरीदारी या प्रॉपर्टी खरीदने का करारनामा करना पसंद करते हैं। इस नजरिए से कुछ ऑनलाइन खुदरा कारोबारी प्रॉपर्टी भी आकर्षक छूट के साथ बेचने की पेशकश कर रहे हैं। कई बेवसाइटों पर ‘चार साल पहले की कीमत पर लें प्रॉपर्टी’, बुकिंग पर दो और चार पहिया वाहन मुफ्त, एकमुश्त भुगतान पर आधे दाम पर प्रॉपर्टी जैसे विज्ञापन ग्राहकों को लुभाते दिख जाएंगे।

त्योहारी सीजन में बैंक क्रेडिट और डेबिट कार्ड ऑफर के तहत कैश बैक ऑफर दे रहे हैं। इस पेशकश को मूर्त रूप देने के लिए बैंक और खुदरा कारोबारी आपस में करारनामा करते हैं। कैश बैक एक निश्चित समय के बाद कार्ड के खाते में डाली जाती है। त्योहारी सीजन में एचडीएफसी बैंक ने अपने डेबिट और क्रेडिट कार्ड धारकों के लिए प्रतियोगिता चला रहा है, जिसके तहत एक अक्तूबर से इकतीस दिसंबर के बीच प्रत्येक पंद्रह मिनट में सबसे बड़ी लेन-देन में से एक क्रेडिट और डेबिट कार्ड पर पांच हजार रुपए का कैश बैक मिलेगा। यह योजना सुबह दस बजे से रात दस बजे तक वैध होगी। इसी तरह ऐक्सिस बैंक ने कॉरपोरेट ग्राहक को छोड़ कर अपने डेबिट और क्रेडिट कार्डधारकों के लिए 13 अक्तूबर से 15 नवंबर तक ‘टॉप स्पेंडर कैंपेन’ चलाया। अमूमन, इस तरह की प्रतियोगिता एक निश्चित समय-सीमा के लिए वैध होती है, इसलिए नुकसान के डर से या लालच में आकर लोग छूट पाने के लिए लालायित रहते हैं। हालांकि कैश बैक पाने के लिए ग्राहकों को अनेक शर्तों का पालन करना होता है।

कुछ महीनों से खुदरा कारोबारियों के दबाव में ऑनलाइन खुदरा कारोबारी सोच-समझ कर छूट की पेशकश कर रहे हैं। हाल ही में एलजी, सैमसंग, वीडियोकॉन, सोनी, पैनासोनिक आदि उपभोक्ता टिकाऊ कंपनियों ने अपने व्यापार साझेदारों को आगाह किया था कि भारी छूट के साथ बेचे गए उत्पादों पर सर्विस और वारंटी की सुविधा नहीं दी जाएगी। इन कंपनियों के ऐसे रुख के कारण छोटे वितरकों के जरिए की जाने वाली आॅनलाइन बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है। दरअसल, छोटे वितरक मामूली लाभ पर उत्पादों को आॅनलाइन खुदरा बाजार में पहुंचाते हैं। प्रमुख उपभोक्ता टिकाऊ कंपनियों ने इस संबंध में आॅनलाइन कारोबारियों से भी बात की है, ताकि मूल्य निर्धारण उनके मन मुताबिक हो।

बहरहाल, दबाव में ऑनलाइन खुदरा कारोबारी अधिकतम बिक्री-मूल्य पर भारी-भरकम छूट देने से परहेज कर रहे हैं। बड़ी कंपनियों जैसे आईफोन, सैमसंग, सोनी आदि के उत्पाद बहुत ही कम छूट पर बेचे जा रहे हैं। इसी तरह, माइक्रोमैक्स की एचडी एलईडी को दीवाली में भी 19990 रुपए में बेचने की पेशकश की गई, जो पहले भी इसी कीमत पर बेची जा रही थी। पहले भी उपभोक्ता टिकाऊ कंपनियों की इस तरह की पहल के कारण स्नैपडील और एमेजॉन इंडिया के ‘सेविंग डे’ और ‘एप्पिनेस डे’ मेगा सेल बुरी तरह से फ्लॉप हो गए थे। बाद में भी स्नैपडील और अमेजॉन इंडिया की मेगा सेल इसी कारण से नाकाम हुई थी। इस मामले में अब बड़ी उपभोक्ता टिकाऊ कंपनियां जागरूक हो गई हैं। इधर, आॅनलाइन खरीदारी में नकली उत्पादों की आपूर्ति के मामले देखे जा रहे हैं। यह भी देखा जा रहा है कि उत्पाद की अधिक कीमत बता कर उस पर भारी-भरकम छूट की पेशकश की जा रही है, जिससे आॅनलाइन खुदरा कारोबारियों की साख में लगातार गिरावट आ रही है।

जानकारों के मुताबिक ऑनलाइन खुदरा कारोबार में वृद्धि का एक कारण विज्ञापन पर भारी-भरकम राशि खर्च करना है। आमतौर पर अधिकांश ग्राहक टेलीविजन और अखबारों में दिए गए विज्ञापन को देख कर ऑनलाइन खुदरा कारोबारियों की बेवसाइट विजिट करते हैं। ग्राहकों के बीच पैठ बनाने के लिए फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, एमेजॉन और मित्रा जैसी कंपनियां विज्ञापनों पर भारी-भरकम रकम खर्च कर रही हैं। ऑनलाइन खुदरा कारोबारियों की बेवसाइट के विज्ञापन अभियान से इनके विज्ञापन मद में महज एक साल में चार गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले साल इन कारोबारियों ने विज्ञापनों पर दो सौ से तीन सौ करोड़ रुपए खर्च किए थे, जो इस साल बढ़ कर 1100 से 1200 करोड़ रुपए हो गए हैं।

अब ऑनलाइन बाजार के बढ़ते कदम को रोका जाना संभव नहीं है। मौजूदा समय में भारत में सड़सठ हजार करोड़ रुपए का ऑनलाइन कारोबार हो रहा है, जो एक अनुमान के मुताबिक 2017 तक 1.23 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है, क्योंकि इनके कारोबार का दायरा धीरे-धीरे ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ रहा है।
बावजूद इसके, भारत ऑलाइन खुदरा कारोबार के मामले में चीन से बहुत पीछे है। चीन में फिलवक्त ऑनलाइन खुदरा कारोबार चौबीस लाख करोड़ रुपए का है, जो 2017 तक पैंतालीस लाख करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर सकता है।

ऑनलाइन खुदरा कारोबार में लगातार विकास हो रहा है, लेकिन इसके बरक्स भारत में अब भी कोई स्पष्ट कानून नहीं है, जिसके कारण अक्सर विवाद को पैर पसारने का मौका मिलता है। लिहाजा, ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए इस दिशा में स्पष्ट कानून बनाने की जरूरत है। मौजूदा कानून में व्याप्त कमियों की वजह से ग्राहक और सरकार दोनों को नुकसान हो रहा है। देखा गया है कि ऑनलाइन खुदरा कारोबारी त्रुटिपूर्ण उत्पादों को एक महीने के अंदर वापस लेने में आनाकानी करते हैं। नकद पैसे कभी नहीं लौटाए जाते, ताकि ग्राहक दोबारा भी त्रुटिपूर्ण उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर हो। फिर भी, ऑनलाइन खुदरा कारोबारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के प्रावधान मौजूदा कानून में नहीं हैं।

समस्या ऑनलाइन खुदरा कारोबारियों द्वारा दिए जा रहे बिल को लेकर भी है। उपभोक्ता विक्रेता के खिलाफ शिकायत या वाद तभी दाखिल कर सकता है, जब उसके पास उत्पाद खरीदने का कैश मेमो या बिल हो। वर्तमान में ई-कॉमर्स कंपनियां सॉफ्ट बिल जारी कर रही हैं, जबकि सूचना प्रौद्योगिकी कानून, 2000 के अनुसार सॉफ्ट बिल पर अधिकृत अधिकारी की डिजिटल तस्वीर और हस्ताक्षर होने चाहिए, अन्यथा बिल को वैध नहीं माना जाएगा।

इसके अलावा, ऑनलाइन खुदरा कारोबारियों द्वारा उत्पादों की बिक्री का न तो रिकॉर्ड रखा जा रहा और न मांगने पर उसे ग्राहकों को मुहैया कराया जा रहा है। इधर, ऑनलाइन खुदरा कारोबारियों द्वारा स्पष्ट कानून के अभाव में टैक्स चोरी करने के मामले देखे जा रहे हैं, जिससे राज्यों को राजस्व का खासा नुकसान हो रहा है। बिहार सहित अनेक राज्य ऐसा आरोप लगा रहे हैं। इसी वजह से बहुत सारे आॅनलाइन खुदरा कारोबारी बिहार में आपूर्ति नहीं कर रहे हैं।

भारत के ऑनलाइन खुदरा कारोबारियों को अभी चीन की आॅनलाइन खुदरा कंपनी ‘अलीबाबा’ से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। इस क्रम में भारतीय खुदरा कारोबारियों को बाजार की संरचना, खुदरा विक्रेताओं की स्थिति, ग्राहकों की मनोदशा, बिक्री की बारीकी आदि को समझने और सीखने की आवश्यकता है। चीन की कंपनी अलीबाबा ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए आमतौर पर पहले ऑर्डर बुक करती है और उसके बाद समय पर उस पर अमल कराती है। साथ ही, वह उत्पाद की गुणवत्ता के साथ समझौता भी नहीं करती है। इस तरह, ग्राहक को संतुष्ट करना अलीबाबा की पहली प्राथमिकता है, लेकिन फिलहाल भारत में आॅनलाइन खुदरा कारोबारी ऐसा नहीं कर रहे हैं।

भले ही प्रॉपर्टी की ऑनलाइन खरीदारी शुरू हो गई है, लेकिन ऐसी सौदेबाजी में सावधान रहने की जरूरत है। प्रॉपर्टी खरीदते समय व्यक्ति को खूब सौदेबाजी करनी चाहिए। अगर कोई पूरी तरह सुसज्जित घर की पेशकश कर रहा है तो वास्तविक कीमत को कम कराने की जरूरत होती है, क्योंकि छूट बमुश्किल दो से पांच लाख रुपए की होती है और महानगरों में अच्छी प्रॉपर्टी की कीमत डेढ़ से दो करोड़ रुपए की होती है। इसलिए ऐसी छूट अहम नहीं है। इस तरह की पेशकश को स्वीकार करने के बजाय ग्राहकों को प्रॉपर्टी की कीमत में कटौती कराने की कोशिश करनी चाहिए।

ऑनलाइन खुदरा कारोबारियों, खुदरा विक्रेताओं, टिकाऊ उपभोक्ता सामान की कंपनियों, सरकार और ग्राहकों के बीच समन्वय बनाने की जरूरत है। केंद्र सरकार को ऐसे कानून बनाने की पहल करनी चाहिए जिससे उसे और राज्यों को राजस्व का नुकसान न हो, साथ ही ग्राहकों के हित भी सुरक्षित रहें। दरअसल, भारत में अभी ऑनलाइन खुदरा बाजार अपने शैशवकाल में है। उपभोक्ता सस्ते उत्पाद मिलने के कारण ऑनलाइन खुदरा बाजार के मुरीद बन चुके हैं, लेकिन ठगी के शिकार होने पर उनके अधिकारों की रक्षा कौन करेगा, यह स्पष्ट नहीं है। लिहाजा, ऐसा कारगर कानून बनाने की जरूरत है कि उपभोक्ता ठगी के शिकार न हों और सरकार भी नुकसान में न रहे। सुधारात्मक उपायों को अमली जामा पहनाने से भारत का आॅनलाइन खुदरा कारोबार ग्राहकों को बेहतर सेवा दे पाएगा। (सतीश सिंह)