लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के दो धड़ों, पशुपति पारस और चिराग पासवान को चुनाव आयोग ने अलग-अलग पार्टी के तौर पर मान्यता दे दी है। इसके लिए चुनाव आयोग ने दोनों को चुनाव चिन्ह भी आवंटित कर दिया है। वहीं पार्टी का पुराना नाम(लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ) और उसका चुनाव चिह्न भी चुनाव आयोग ने खत्म कर दिया है।
बता दें कि बिहार के तारापुर और कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव से पहले चुनाव आयोग ने यह फैसला किया है। जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान का चुनाव निशान हेलीकॉप्टर होगा तो वहीं उनकी पार्टी का नाम लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) होगा। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और चुनाव निशान सिलाई मशीन होगा।
फिलहाल दोनों धड़ों की तरफ से पार्टी के चिह्न को लेकर अपना दावा किया जा रहा था, जिसे चुनाव आयोग ने खत्म कर दिया है। गौरतलब है कि LJP के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की मौत के बाद पार्टी पर अधिकार जमाने को लेकर चाचा पशुपति पारस ने अपना दावा किया था। पशुपति पारस को पार्टी के सांसदों का साथ मिलने से इस ल़ड़ाई में चिराग पासवान अकेले पड़ते जा रहे थे।
चिराग की पार्टी के साथ पिता का नाम: चिराग को चुनाव आयोग से जो पार्टी का नाम(लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)) मिला है, उसमें उनके पिता का नाम जुड़ा हुआ है। ऐसे में माना जा रहा है कि, चुनावी समर में पिता की विरासत के आधार पर उन्हें वोट मांगने में मदद मिलेगी।
चिराग गुट के प्रदेश प्रवक्ता असरफ अंसारी ने कहा- ‘तारापुर और कुशेश्वरस्थान सीट पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव को लेकर चिराग पासवान ने चुनाव आयोग से नए चुनाव चिन्ह की मांग की थी। उन्होंने अपनी तरफ से गैस सिलेंडर, हेलिकॉप्टर और एक साथ खड़े तीन आदमी के प्रतीक चिह्न को सिंबल के रूप में देने की मांग रखी थी। बता दें कि जहां पशुपति पारस ने उपचुनाव में NDA को समर्थन दिया है तो वहीं चिराग पासवान के उम्मीदवार पूरी तरह से अकेले लड़ेंगे।