नीरजा चौधरी

प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या ने सभी को हैरान कर दिया। मीडिया के सामने, मीडियाकर्मी बनकर जिस तरह से इस अपराध को अंजाम दिया गया, सभी हक्का-बक्का रह गए। इससे भी ज्यादा चिंताजनक बात ये रही कि ये सबकुछ भारी पुलिस फोर्स के बीच हुआ, जो वीडियो भी सामने आया उसमें पुलिस वाले दूर खड़े रहे, किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं दिखी कि वो गन निकाल उन आरोपियों को अतीक को मारने से रोकें।

अब जिस घटना से यूपी की योगी सरकार पर कई गंभीर सवाल खड़े होने चाहिए थे, वहां पर जमीन पर स्थिति इससे अलग दिखाई पड़ती है। क्या गोरखपुर, क्या लखनऊ, क्या मुजफ्फरनगर और क्या नोएडा, सभी जगह इस हत्या को भी सही माना जा रहा है। हत्या क्योंकि माफिया अतीक अहमद की हुई है, ऐसे में लोग इसमें कुछ भी गलत नहीं देख रहे। लखनऊ के ही एक व्यापारी कहते हैं कि हिंदुओं का 150 फीसदी समर्थन है, जिस अतीक ने दशकों तक अपने आतंक से सभी को परेशान किया, वो अब मारा गया है। इसी कड़ी में गोरखपुर के एक कांग्रेस नेता बताते हैं कि हालात ऐसे हैं कि पढ़े लिखे शिक्षक, प्रोफेसर भी इस घटना का समर्थन कर रहे हैं। एक आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता ने तो यहां तक कह दिया वे अपनी पार्टी की तरफ से जरूर इस समय योगी सरकार का विरोध कर रहे हैं, कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन निजी तौर पर वे भी इस सब से खुश हैं।

अतीक की हत्या के बाद यूपी में कैसा माहौल?

अब ये बयान बताते हैं कि यूपी में सियासी फिजा पूरी तरह बदल चुकी है। जिन मुद्दों को पहले कानून व्यवस्था से जोड़कर सरकार को घेरने का काम किया जाता था, अब योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद वो बदल गया है। लोग कहते हैं कि वे इस तरह से तो अतीक की हत्या नहीं चाहते थे, लेकिन जो हुआ, वो भी ठीक ही रहा। यानी कि मन में अतीक को लेकर इतनी नफरत थी कि कानून व्यवस्था के इस फेलियर से जनता को कोई फर्क नहीं पड़ रहा। इस समय हालात ऐसे बन गए हैं जहां पर गवाह अपराधियों के खिलाफ खुलकर बोलने से डरते हैं, उन्हें सियासी पार्टियों का समर्थन रहता है, कोर्ट में सालों तक सुनवाई नहीं होती और दूसरी तरफ क्रिमिनल जस्टिस का भारत में मजाक बनता रहता है। इ्सी स्थिति के बीच योगी आदित्यनाथ और उनकी सियासत अलग अंदाज में आगे बढ़ती दिख रही है।

यहीं कारण है कि जिस हत्या से वैसे तो बीजेपी का कोई कनेक्शन ना रहा हो, लेकिन आम लोगों के बीच में ये धारणा बन रही है कि सीएम योगी की वजह से एक और माफिया का सफाया हो गया। जब से योगी यूपी के सीएम बने हैं, उन्होंने कुछ इस प्रकार की कार्रवाई को हरी झंडी दिखाई है कि लोगों के बीच उन्हें बुलडोजर बाबा का तमगा मिला है। इसके ऊपर जब वे मीडिया के सामने कहते हैं कि माफिया को मिट्टी में मिला देंगे, इसका अलग ही असर लोगों पर पड़ता है। पिछले कुछ सालों में तो ऐसा ट्रेंड बन गया है जहां पर अब बीजेपी शासित दूसरे राज्य भी उसी तरह के मॉडल पर चलने लगे हैं। लेकिन सीएम योगी ने बीजेपी में तेजी से अपना कद बढ़ाया है, ऐसा बढ़ा कि प्रधानमंत्री मोदी के बाद अब जब भी चुनावी मौसम में हिंदू वोटरों को एकमुश्त करने का काम करना हो, तो उन्हें ही आगे किया जाता है।

योगी की बढ़ती लोकप्रियता और ध्रुवीकरण की राजनीति

सीएम योगी को लेकर एक बीजेपी नेता बताते हैं कि उनके तीन ऐसे गुण हैं, जिस वजह से वे तेजी से लोकप्रिय हुए हैं। पहला तो ये कि उन्होंने यूपी में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने का काम किया है। दूसरा ये कि वे यूपी में निवेश लाने में सफल रहे हैं, और तीसरा ये उन्होंने मुस्लिमों पर लगाम लगाया है। वैसे भी वर्तमान स्थिति को देखा जाए तो माना जा रहा है कि अतीक की हत्या से बीजेपी को जो पॉलिटिकल माइलेज मिल रहा है, वो सिर्फ आगामी निकाय चुनाव तक सीमित नहीं रहने वाला है, बल्कि आगे भी इससे सियासी फायदा मिल सकता है। जब 2013 में मुजफ्फरनगर के दंगे हुए थे, उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान हिंदुओं का ध्रुवीकरण किया गया था। अब अतीक की हत्या के बाद भी ये धार्मिक ध्रुवीकरण देखने को मिल सकता है।

लखनऊ के राजनीतिक जानकार तो यहां तक मानते हैं कि योगी आदित्यनाथ अब उस स्थिति में पहुंच चुके हैं कि वे बिना पीएम मोदी के भी यूपी में बीजेपी को जीत दिलवा सकते हैं। सियासी रूप से देखा जाए तो वैसे भी यूपी ही 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी के लिए सबसे जरूरी रहने वाला है। जहां से 2014 में बीजेपी को 80 में से 71 सीटें मिली थीं, उसी राज्य ने 2019 के चुनाव में भी 62 सीटें उसकी झोली में दीं। अभी इस समय जब कर्नाटक, बिहार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में बीजेपी की स्थिति पहले की तुलना में कुछ कमजोर नजर आती है, उस स्थिति में यूपी में और बेहतर करना पार्टी के लिए जरूरी है।

अब अतीक की हत्या को अगर सियासत से परे होकर देखा जाए तो कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं। प्रशासनिक से लेकर न्यायिक स्तर पर कई कमियां सामने आई हैं। ये जरूरी है कि जो भी अपराधी आतंक फैलाए, लोगों को परेशान करें, उन्हें समय रहते सजा मिले, जनता को न्याय मिले। ऐसा नहीं होने पर सिस्टम के बाहर जिस भी तरह से न्यया दिया जाएगा, लोगों का विश्वास उसी में बढ़ेगा।

(नीरजा चौधरी, कंट्रीब्यूटिंग एडिटर, इंडियन एक्सप्रेस)