स्टुअर्ट बिन्नी : साल 2014 में बांग्लादेश के खिलाफ मीरपुर वनडे में स्टुअर्ट बिन्नी ने गेंदबाजी में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। बिन्नी की शानदार गेंदबाजी के दम पर भारतीय टीम बांग्लादेश को हराने में सफल रही थी। इस मैच में भारतीय टीम 105 रनों पर ही ढेर हो गई थी। लक्ष्य का पीछा करने उतरी बांग्लादेश की टीम महज 58 रन ही बना सकी। सुरेश रैना की कप्तानी में भारत यह मैच 47 रनों से जीतने में कामयाब रही। बिन्नी इस मैच को शायद ही कभी भुला पाएं। उन्होंने 4.4 ओवरों में महज 4 रन देकर 6 विकेट लि्ए थे। हालांकि, इसके बाद बिन्नी लगातार फ्लॉप रहे और टीम से उन्हें बाहर कर दिया गया। हार्दिक पांड्या और विजय शंकर जैसे ऑलराउंडर खिलाड़ी के आने के बाद बिन्नी का वापस भारतीय टीम में शामिल होना बेहद मुश्किल दिखाई पड़ रहा है। (फोटो सोर्स- AP) -
जोगिंदर शर्मा : भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने साल 2007 में पाकिस्तान को हराकर भारत को पहला टी20 वर्ल्ड कप दिलाया था। जोगिंदर शर्मा ने जोहानिसबर्ग में 2007 में टी20 विश्व कप के फाइनल में पाकिस्तान के कप्तान मिस्बाह उल हक का विकेट लेकर भारत को चैम्पियन बनाया था। पाकिस्तान को अंतिम ओवर में 13 रनों की जरूरत थी। मिस्बाहउल हक ने ओवर के दूसरे गेंद पर छक्का जड़ दिया। इसके बाद जोगिंदर ने श्रीसंथ के हाथों मिस्बाह को आउट कर भारत को जीत दिला दी। इस मैच में जीत में अहम रोल अदा करने वाले गेंदबाज जोगिंदर शर्मा को आज भी उनकी इस दमदार प्रदर्शन के लिए याद करते हैं। हालांकि, वर्ल्ड कप के बाद से ही जोगिंदर शर्मा धीरे-धीरे क्रिकेट से दूर होते चले गए। (फोटो सोर्स- AP)
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अजय रात्रा : भारत के लिए 6 टेस्ट और 12 वनडे खेल चुके विकेटकीपर-बल्लेबाज अजय रात्रा वेस्टइंडीज के खिलाफ 2002 में शतक लगाकर सुर्खियों में आए थे। एक पारी में शतक जमाने के बाद वह बाकी के 9 पारियों में महज 48 रन ही बना सके। 6 महीने बाद ही उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा। इसके बाद टीम में पार्थिव पटेल को मौका दिया गया। (फोटो सोर्स- एक्सप्रेस फाइल)
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ऋषिकेश कानितकर : जोगिंदर शर्मा की तरह ऋषिकेश कानितकर भी पाकिस्तान के खिलाफ भारत को फाइनल मैच जिताने में कामयाब रहे थे। साल 1998 में सिल्वर जुबली इंडिपेंडेंस कप के फाइनल मुकाबले में चौका लगाकर ऋषिकेश ने टीम को जीत दिलाने का काम किया था। भारत को अंतिम ओवर में 9 रनों की जरूरत थी, गेंदबाजी सकलैन मुश्ताक कर रहे थे। जब 2 गेंदों में भारत को 3 रन चाहिए थे, तब कानितकर ने चौका लगाकर भारत को चैम्पियन बनाया। (फोटो सोर्स- एक्सप्रेस फाइल)
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दिनेश मोंगिया : साल 2002 में जिम्बाब्वे के खिलाफ सीरीज ड्रॉ कराने में दिनेश मोंगिया की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इस प्रदर्शन की बदौलत मोंगिया को साल 2003 वर्ल्ड कप में भी प्लेइंग इलेवन में जगह दी गई, लेकिन इस दौरान वो बुरी तरह से फ्लॉप रहे। (फोटो सोर्स- एक्सप्रेस फाइल)
