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बॉल टेंपरिंग की लपटें एक बार फिर से ज्वलंत होकर उठी हैं। ऑस्ट्रेलिया के कैमरन ब्रैंक्रॉफ्ट इस बार इसका शिकार हुए हैं। वह गेंद से छेड़छाड़ करते हुए कैमरे में कैद हो गए थे। मामला दक्षिण अफ्रीकी टीम के साथ हो रहे कंगारू टीम के टेस्ट मैच के दौरान का है। बैंक्रॉफ्ट ने ऐसा कर खुद को और जेंटमेंस गेम को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय टीम के खिलाड़ी भी इसकी भेंट चढ़ चुके हैं। राहुल द्रविड़ हो या फिर सचिन। पढ़िए विस्तार से कुछ पुरानी बॉल टेंपरिंग से जुड़ी घटनाएं।
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गेंद को अधिक चमकाने के लिए जॉन लीवर उस पर वैसलीन लगाते थे। किस्सा उन दिनों का है, जब इंग्लैंड की टीम अपने भारतीय दौरे पर थी। यह साल 1976-77 की बात है। वैसलीन लगाने से गेंद अधिक स्विंग खाती थी। जांच में पाया गया कि गेंद पर कुछ चिकना पदार्थ लगया गया। यह मामला उस वक्त तो दब गया था, लेकिन आज भी यह घटना टेंपरिंग के मसले पर पुरानी यादें ताजा कर देती है।
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टेंपरिंग के कारण सचिन तेंदुलकर पर भी गाज गिरी थी। उन्हें एक मैच से सस्पेंड कर दिया गया था। यह बात 2001 की है, जब भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच माइक डेनेस्स टेस्ट सीरीज चल रही थी। टीवी में बाद में उनकी इस बाबत सफाई आई थी, जिसके बाद तेंदुलकर पर लगा प्रतिबंध रद्द कर दिया गया था।
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पाकिस्तान के वकार यूनिस पहले ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्हें बॉल टेंपरिंग के लिए जुर्माना चुकाना और प्रतिबंध झेलना पड़ा था। यह बात साल 2000 के दौरान की है। पाकिस्तानी टीम तब अपने श्रीलंकाई दौरे पर थी। यूनिस तब अपनी अंगुलियों से गेंद को घिसकर उससे छेड़छाड़ करते थे।
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यूनिस के अलावा पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान इंजीमाम-उल-हक भी बॉल टेंपरिंग की आग की लपटों का शिकार हुए थे। साल 2006 में ओवल में इंग्लैंड के साथ खेले जा रहे मैच में पाकिस्तान पर बॉल टेंपरिंग के आरोप लगे थे, जिसके बाद उन्होंने विरोध में मैच छोड़ दिया था। वे टीम को लेकर मैदान से बाहर आ गए थे।
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एक दौर में भारतीय क्रिकेट टीम की दीवार कहे जाने वाले बल्लेबाज और शानदार विकेटकीपर राहुल द्रविड़ भी बॉल टेंपरिंग के भुक्तभोगी रहे हैं। 2004 में भारतीय टीम अपने जिम्बाब्वे दौरे पर थी, तब द्रविड़ ने अपनी आधी खाई हुई मीठी गोलियां गेंद को चमकाने के लिए उस पर घिसी थीं। द्रविड़ पर इसके लिए भारी जुर्माना लगाया गया था। (सभी फोटोः फेसबुक/एजेंसियां)
