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दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला महाकुंभ 2025 संगम नगरी प्रयागराज में लग चुका है। महाकुंभ का आज दूसरा दिन है और शाही स्नान का पहला दिन। इस मेले में कई साधु-संतों का जमावड़ा भी देखने को मिलता है, खासकर नागा साधु और अघोरी बाबा का। (Photo: PTI)
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अघोरी साधु के पास लोग जाने से डरते हैं। काफी लोगों के बीच इन्हें लेकर धारणा है कि ये तांत्रिक होते हैं। हालांकि, इससे वो परे हैं। (Photo: Indian Express)
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कहां से आया अघोरी शब्द
अघोरी शब्द संस्कृत के अघोर से निकला है जिसका मतलब होता है जो निर्भय हो। अघोरी मुख्य रूप से कपालिका परंपरा को मानने वाले होते हैं इस वजह से ये हमेशा कपाल (नरमुंड) साथ में रखते हैं। अघोरी शिव के पूजक माने जाते हैं। (Photo: Indian Express) -
किसके उपासक होते हैं अघोरी?
अपने शरीर पर राख लपेटे, रुद्राक्ष की माला पहने और नर मुंड लिए नजर आने वाले अघोरी शिव जी के साथ ही काली के भी उपासक माने जाते हैं। (Photo: Indian Express) महाकुंभ ने बना दिया स्टार, एक दिन में 667K से 1 मिलियन बढ़ गए हर्षा रिछारिया के फॉलोवर्स -
अघोरी साधु एकांत में रहना पसंद करते हैं। उन्हें कुंभ या फिर महाशिवरात्री जैसे धार्मिक आयोजनों पर सार्वजनिक तौर पर देखा जाता है। अघोरी साधु साधना के लिए श्मशान या किसी ऐसे दुर्गम इलाके में रहते हैं जहां किसी का पहुंचना मुश्किल हो। (Photo: Indian Express)
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कौन था पहला अघोरी?
अघोरी संप्रदाय बाबा कीनाराम का अनुसरण करते हैं और उनके द्वारा किए गए कामों को अपनी परंपरा का हिस्सा मानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि बाबा कीनाराम पहले अघोरी थे। (Photo: Indian Express) -
कहां हुई थी अघोरी की उत्पत्ति?
सबसे पहले अघोरी की 18वीं सदी में उत्पत्ति काशी यानी वाराणसी में हुई थी। जिस श्मशान में आम इंसान जाने से डरता है वहां अघोरी कई दिनों तक मुर्दों के साथ रात गुजारते हैं और साधना करते हैं। (Photo: Indian Express) Maha kumbh में कल्पवास के 21 में से ये 5 नियम बेहद जरूरी, कितने सालों तक करना होता है पालन? -
इसलिए खाते हैं अधजली मांस?
इसके साथ ही चिता से अधजला मांस खाने को भी अघोरी अपनी परंपरा का हिस्सा मानते हैं। अघोरी: अनटोल्ड स्टोरी नामक किताब के लेखक मयूर कलबाग ने बताया है कि अघोरी चिता से अधजली मांस और शराब इसलिए पीते हैं क्योंकि वह बताना चाहते हैं कि वह कुछ भी खाकर-पीकर जीवित रह सकते हैं। (Photo: Indian Express) -
अघोरी का गुरु कौन?
अघोरी परंपरा को लेकर मान्यता है कि भगवान शिव-विष्णु और ब्रह्मा के अवतार कहे जाने वाले भगवान दत्तात्रेय को ये अपना गुरु मानते हैं। (Photo: Indian Express) -
कितने तरह की होती है साधना?
अघोरी तंत्र साधना भी करते हैं। मुख्य रूप से तीन तरह के अघोरी साधना का वर्णन मिलता है। पहला शव साधना यानी शव को मांस और मदिरा का भोग लगाना। दूसरा शिव साधना होता है जिसमें अघोरी को एक पैर पर शव के ऊपर खड़े होकर शिव की साधना करना होता है। वहीं, तीसरा श्मशान साधना होता है जहां वो हवन करते हैं। (Photo: Indian Express) Maha Kumbh 2025: 144 साल बाद क्या संयोग बना है और क्यों खास है यह महाकुंभ?