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न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गवई को CJI के पद की शपथ दिलाई है। (Photo: PTI)
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देश के पहले बौद्ध और दूसरे दलित CJI भूषण रामकृष्ण गवई देश के पहले बौद्ध और दलित समुदाय दूसरे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया हैं। उनसे पहले पूर्व दलित समुदाय के पहले पूर्व CJI केजी बालकृष्णन ने 2007 में पद संभाला था। ऐसे में आइए जानते हैं बीआर गवई के बारे में कुछ खास बातें और उनके द्वारा लिए गए 5 बड़े फैसले। (Photo: PTI)
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पिता थे बड़े नेत
न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई के परिवार का राजनीति से गहरा नाता है। उनके पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई हैं जो भारत के मशहूर नेताओं में से एक हैं। भारतीय राजनीति में उन्हें लोग ‘दादासाहेब’ के नाम से जानते हैं। (Photo: Indian Express) -
पिता किस पार्टी के थे नेता
बिहार के राज्यपाल रहे रामकृष्ण सूर्यभान गवई एक प्रमुख दलित नेता थे। उनका कांग्रेस पार्टी से बेहद गहरा नाता था। करीब 40 से अधिक वर्षों तक कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे। वो कांग्रेस के समर्थन से संसद सदस्य और विधानमंडल के सदस्य रहे। (Photo: Indian Express) -
बाबासाहेब अंबेडकर के करीबी थे रामकृष्ण सूर्यभान गवई
रामकृष्ण सूर्यभान गवई ने अंबेडकरवादी संगठन, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) की स्थापना की थी। वो बाबासाहेब अंबेडकर के बेहद करीबी सहयोगी और नागपुर में दीक्षाभूमि स्मारक समिति के अध्यक्ष थे। (Photo: PTI) -
इन राज्यों के रहे राज्यपाल
रामकृष्ण सूर्यभान गवई ने साल 2006 से 2011 के बीच बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल रहे। CJI बीआर गवई के भाई डॉ. राजेंद्र गवई भी कांग्रेस पार्टी के एक बड़े नेता हैं। (Photo: Indian Express) -
बीआर गवई के पांच बड़े फैसले
न्यायमूर्ति बीआर गवई इससे पहले अपने कई फैसलों के चलते चर्चा में रह चुके हैं। इसमें नोटबंदी से लेकर अनुच्छेद-370 तक शामिल है। (Photo: PTI) -
अनुच्छेद-370
जब 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 और 35 ए द्वारा दिए गए विशेष दर्जे को हटाने के लिए संसद में मंजूरी दी तब इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं। उस दौरान इस मामले की सुनवाई CJI डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली 5 जजों की बेंच ने किया था जिसमें से एक बीआर गवई भी थे। (Photo: PTI) -
बुलडोजर कार्रवाई
पर रोक साल 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना मनमानी बुलडोजर कार्रवाई को कानून विहीनता और अराजकता करार दिया था। यह आदेश जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि केवल आरोपी या दोषी होने के आधार पर किसी की भी संपत्ति पर बुलडोजर चलाना सही नहीं है, ये असंवैधानिक है। (Photo: PTI) -
नोटबंदी
केंद्र सरकार ने जब साल 2016 में 500 और एक हजार के पुराने नोट को बंद करने का ऐलान किया था तब कुछ लोग इसके खिलाफ कोर्ट पहुंचे थे। इन लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने की थी जिसमें जस्टिस गवई भी शामिल थे। हालांकि, कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। (Photo: PTI) -
महाराष्ट्र राजनीति पर फैसला
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच जब विवाद हुआ तो राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट बुलाया था। उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया था जिस पर खूब बवाल मचा था। यहां तक कि इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जिस पीठ ने की थी उसमें से एक जस्टिस गवई भी थे। (Photo: PTI) -
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट
साल 2019 में केंद्र सरकार ने भारत के ‘पावर कॉरिडोर’ को नई पहचान देने के लिए पुनर्विकास परियोजना की घोषणा की थी। जिसका खूब विरोध भी हुआ था। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि, ये प्रोजेक्ट किसी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करता है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को तीन न्यायधीशों की पीठ ने मंजूरी दी थी जिसमें जस्टिस बीआर गवई भी शामिल थे। (Photo: PTI) -
कितना बड़ा है परिवार
न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई की मां का नाम कमला गवई है और उनकी एक बहन भी हैं जिनका नाम कीर्ति है। (Photo: PTI) -
पत्नी और बच्चे
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया भूषण रामकृष्ण गवई की पत्नी तेजस्वी गवई हैं। दोनों की एक बेटी हैं जिनका नाम करिश्मा गवई है। करिश्मा ने भी लॉ की पढ़ाई की है। (Photo: PTI) इंडिया के 10 सबसे ताकतवर शख्सियतें, मुकेश अंबानी और योगी आदित्यनाथ से ज्यादा पावरफुल हुए CJI चंद्रचूड़
