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मासिक धर्म यानी पीरियड्स एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो महिलाओं के शरीर में हर महीने होती है। इस मुद्दे पर बात करते हीं अक्सर लोगों की रूढ़िवादी सोच सामने आ जाती है। इस मुद्दे पर जहां लोग आज भी खुलकर बात करने से हिचकिचाते हैं, वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड के रहने वाले एक परिवार ने अपनी बेटी के फर्स्ट पीरियड्स पर पार्टी देकर सभी को हैरान कर दिया है। (Source: Jitendra Bhatt/Facebook)
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हाल ही में उत्तराखंड के काशीपुर के रहने वाले जितेंद्र भट्ट ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कुछ तस्वीरें शेयर की हैं। इस पोस्ट को शेयर करते हुए जितेंद्र भट्ट ने लिखा, “बेटी बड़ी हो गई। बेटी रागिनी को पीरियड्स शुरू होने की खुशी को आज उत्सव की तरह मनाया। हैप्पी पीरियड्स रागिनी।” (Source: Jitendra Bhatt/Facebook)
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जितेंद्र का यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। लोग उनके कदम की सराहना कर रहे हैं। उन्होंने अपने इस पोस्ट में कुछ तस्वीरें शेयर की हैं जिसमें वो अपनी बेटी के पीरियड्स आने की खुशी में पार्टी देते नजर आ रहे हैं। (Source: Jitendra Bhatt/Facebook)
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17 जुलाई को जितेंद्र ने बेटी के पहले मासिक धर्म पर पार्टी आयोजित की और केक काटकर जश्न मनाया। इतना ही नहीं इस मौके पर कई मेहमान भी शामिल हुए। जितेंद्र ने पीरियड थीम पर बेटी का केक डिजाइन करवाया था। केक का कलर वाइट और रेड रखा। (Source: Jitendra Bhatt/Facebook)
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जितेंद्र के मुताबिक, जब रागिनी का पहला पीरियड शुरू हुआ तो वह घबरा गई थी। जिसके बाद जितेंद्र और उनकी पत्नी भावना सती ने बैठकर बेटी को इस बारे में विस्तार से जानकारी दी। वहीं, बेटी को स्पेशल फील कराने के लिए परिवार ने ये सेलिब्रेशन किया। (Source: Jitendra Bhatt/Facebook)
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जितेंद्र भट्ट की इस पहल से उन्होंने न सिर्फ बेटी को स्पेशल फील कराया बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि महिलाओं को मासिक धर्म यानी पीरियड्स के दौरान अछूत समझना, रसोई और मंदिर में जाने से रोकना गलत है। (Source: Jitendra Bhatt/Facebook)
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बता दें, कई जगहों पर आज भी पीरियड्स को लोग अच्छा नहीं मानते हैं। वहीं, पीरियड्स के दौरान बच्चियों और महिलाओं को हीन भावना से देखा जाता है और उन्हें अशुद्ध मानकर परिवार से कहीं दूर रखा जाता है। अगर वो उन दिनों में किसी भी सामान को छू भी देती हैं तो उसे अशुद्ध माना जाता है। (Source: Jitendra Bhatt/Facebook)
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पीरियड्स के दिनों में महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। उन्हें सभी बिस्तरों से अलग जमीन पर एक चादर बिछा कर सोना पड़ता है। तो कई जगहों पर उन्हें जानवरों के गोठ में सोनें को मजबूर होना पड़ता है। (Source: Jitendra Bhatt/Facebook)
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यह प्रथा न केवल नारी अधिकारों का उल्लंघन करती है, बल्कि इससे महिलाओं को मानसिक रूप से भी दुखी होना पड़ता है। इसे बदलने के लिए समाज को शिक्षित होना और समझना जरूरी है कि पीरियड्स एक स्वाभाविक प्रक्रिया हैं, और इसे अशुद्ध मानना या इससे महिलाओं को अलग रखना गलत है। (Source: Jitendra Bhatt/Facebook)
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महिलाओं को इस समय में समर्थन और साथ देने से उनका सम्मान बढ़ता है और समाज में उनकी स्थिति मजबूत होती है। वहीं सोशल मीडिया पर रागिनी के पिता जीतेंद्र भट्ट की इस सोच को हर कोई सलाम कर रहा है। और उनके द्वारा शेयर की गई ये तस्वीरें रूढ़िवादी सोच को एक आइना दिखाने के बराबार है। (Source: Jitendra Bhatt/Facebook)
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