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किडनी ट्रांसप्लांट जीवन बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण चिकित्सा प्रक्रिया है, लेकिन एक ही व्यक्ति का तीन बार किडनी ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाना किसी चमत्कार से कम नहीं। (Photo Source: Freepik)
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ऐसा ही एक दुर्लभ मामला सामने आया है, जहां रक्षा मंत्रालय में कार्यरत 47 वर्षीय वैज्ञानिक देवेन्द्र बारलेवार को तीसरी बार सफल किडनी ट्रांसप्लांट मिला। अब उनके शरीर में कुल पांच किडनियां हैं, जिनमें से केवल एक सक्रिय रूप से कार्य कर रही है।
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कैसे हुआ तीसरा किडनी ट्रांसप्लांट?
बारलेवार को यह नई किडनी मल्टी-ऑर्गन डोनेशन प्रक्रिया के तहत मिली। एक ब्रेन-डेड किसान के परिवार ने अंगदान के लिए सहमति दी थी, जिससे यह दुर्लभ सर्जरी संभव हो पाई। (Photo Source: Pexels) -
यह ट्रांसप्लांट 9 जनवरी को फरीदाबाद स्थित अमृता अस्पताल में हुआ, जिसे वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. अनिल शर्मा और उनकी टीम ने अंजाम दिया। (Photo Source: amrita.edu)
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तीसरी बार किडनी मिलना क्यों है दुर्लभ?
तीसरी बार किडनी ट्रांसप्लांट होना अत्यंत दुर्लभ है क्योंकि एक ही व्यक्ति के लिए तीन बार मेल खाता डोनर मिलना बेहद मुश्किल होता है। (Photo Source: Freepik) -
सर्जरी में कई जटिलताएं होती हैं, जैसे कि पहले से मौजूद किडनियों की स्थिति को देखते हुए नई किडनी के लिए जगह बनाना। पहले हुए ट्रांसप्लांट्स की वजह से शरीर में इम्यून रिस्पॉन्स बढ़ जाता है, जिससे अंग अस्वीकार होने (रिजेक्शन) का खतरा बढ़ जाता है। (Photo Source: Freepik)
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बारलेवार की किडनी से जुड़ी लड़ाई
उनकी क्रोनिक किडनी डिजीज की शुरुआत 2010 में हुई थी, जब पहली बार उनकी मां ने अपनी किडनी दान की, लेकिन वह सिर्फ एक साल तक ही ठीक से काम कर पाई। (Photo Source: Freepik) -
2012 में, उन्हें दूसरी बार किडनी ट्रांसप्लांट मिला, जो एक रिश्तेदार ने दान की थी। यह किडनी 2022 तक ठीक से काम करती रही, लेकिन कोविड-19 के दौरान उन्हें फिर से डायलिसिस की जरूरत पड़ने लगी। जिसके बाद अब उनका तीसरी बार ट्रांसप्लांट हुआ है, जो सफल रहा। (Photo Source: Pexels)
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सर्जरी की जटिलताएं और सफलता
चार घंटे चली इस सर्जरी के दौरान डॉक्टरों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे – 1. नई किडनी को सही स्थान पर स्थापित करना, क्योंकि पहले से चार किडनियां मौजूद थीं। 2. इम्यून सिस्टम को नियंत्रित करने के लिए विशेष दवाएं देना, ताकि नया अंग अस्वीकार न हो। (Photo Source: Pexels) -
ब्लड वेसल्स (रक्त वाहिकाएं) पहले से इस्तेमाल की जा चुकी थीं, इसलिए नए सर्जिकल कनेक्शन बनाने पड़े। 4. इंसीशनल हर्निया जैसी जटिलताओं से बचाव करना। (Photo Source: Freepik)
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सर्जरी के बाद की स्थिति
ट्रांसप्लांट के तुरंत बाद नई किडनी ने कार्य करना शुरू कर दिया और बारलेवार को डायलिसिस की जरूरत नहीं पड़ी। 10 दिनों में अस्पताल से छुट्टी मिल गई और अब वह सामान्य जीवन की ओर लौट रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार, उन्हें तीन महीने तक आराम और सावधानी बरतनी होगी। -
“यह मेरे लिए एक नया जीवन है” – देवेन्द्र बारलेवार
देवेन्द्र बारलेवार ने कहा, “जब एक किडनी पाना भी मुश्किल होता है, तब मुझे तीन बार यह अवसर मिला। यह किसी चमत्कार से कम नहीं।” उन्होंने अपनी किडनी दान करने वाले ब्रेन-डेड किसान के परिवार के प्रति आभार प्रकट किया। (Photo Source: Pexels)
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